चंडीगढ़ October 06, 2010
हरियाणा में किसानों और चावल मिल मालिकों के विरोध प्रदर्शन के बावजूद धान की सरकारी खरीद वादे के अनुरूप अब तक शुरू नहीं हो पाई है। भारतीय किसान यूनियन के अनुसार राज्य में धान की सरकारी खरीद एक अक्टूबर से ही शुरू होनी थी। इसके चलते स्थानीय मंडियों में धान की खूब आवक हो रही है। जबकि सरकारी खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के ढीले रवैये के चलते धान की खरीद अब तक शुरू नहीं हो पाई है। उधर, चावल मिल मालिकों ने भी स्थानीय मंडियों से धान खरीदने से मना कर दिया है। चावल मिल मालिकों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती तब तक वे मंडियों में धान की खरीद नहीं करेंगे। यानी सरकारी खरीद एजेंसी और मिल मालिकों की आपसी लड़ाई का खामियाजा यहां के किसान भुगत रहे हैं। सरकार और निजी मिल मालिकों द्वारा धान की खरीद न किए जाने से हरियाणा के किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। इसके चलते हरियाणा में किसानों का विरोध प्रदर्शन पिछले 3 दिनों से जारी है। खरीद बिल्कुल ठप हो जाने से मंडियों में धान के ढेर लगने लगे हैं। राज्य की अलग-अलग मंडियों में अब तक 1,24,959 मिट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है लेकिन इसके खरीदार कोई नहीं है। दूसरी तरफ, सरकार से नाराज चल रहे चावल मिल मालिकों ने भी धमकी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक वे स्थानीय मंडियों से धान की खरीद नहीं करेंगे।आमतौर पर सरकारी खरीद एजेंसी की ओर से चावल मिलें मंडियों से धान की खरीद करती हैं। स्थानीय मंडियों से धान खरीद कर वे इसकी अच्छी तरह सफाई और छांटाई करने के बाद भारतीय खाद्य निगम को धान की सप्लाई करते हैं। इसके लिए एफसीआई की ओर से चावल मिलों को वाजिब शुल्क मिलता है। चावल मिल मालिकों का आरोप है कि राज्य सरकार ने उनपर जुर्माना लगा दिया है। चावल मिल मालिकों के अनुसार सरकारी खरीद एजेंसी ने तय समय पर धान की आपूर्ति न करने का आरोप लगा कर उन पर जुर्माना लगाया है। भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि मंडियों में धान की खरीद 1 अक्टूबर से ही शुरू होनी थी लेकिन अब तक इसमे देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि एफसीआई और चावल मिलों की ओर से धान खरीदने को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि धान की खरीद शुरू नहीं होने तक किसान विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। उधर सरकारी खरीद एजेंसी का कहना है कि धान में अभी भी काफी ज्यादा नमी पाई गई है। धान में नमी की मात्रा 17 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जबकि इस समय धान में 20 से 22 फीसदी तक नमी है। (BS Hindi)
07 अक्तूबर 2010
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