चंडीगढ़ October 26, 2010
देश के उत्तरी इलाकों में शुक्रवार को हुई छिटपुट बारिश की वजह से पंजाब और हरियाणा में धान की फसल उगाने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है। पश्चिमी हलचल के चलते पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में जो हल्की बारिश हुई है, उससे धान की फसल पर प्रतिकूल असर होने की आशंका जताई जा रही है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक इन दोनों राज्यों में धान का कुल रकबा 38.5 लाख हेक्टेयर है और कुल 1.82 करोड़ टन उत्पादन की संभावना है, लेकिन 40 फीसदी फसल की कटाई नहीं हो पाई है।भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के नमी मानदंडों के मुताबिक इस वर्ष जिन किसानों की उपज में 17 फीसदी से अधिक नमी रहेगी, उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस मसले पर लुधियाना के एक किसान का कहना है कि चूंकि एफसीआई के गोदामों में अतिरिक्त अनाज अटे पड़े हैं इसलिए सरकारी एजेंसियां नमी को लेकर रूढि़वादी रवैया अपना रही हैं। उनका कहना है कि कम आपूर्ति वाली स्थिति में 25-26 फीसदी नमी की मौजूदगी वाला धान भी उठ जाता है।इस वर्ष बेमौसम बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। सरकारी गोदामों में अतिरिक्त अनाज पड़े होने की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियां ज्यादा नमी की मौजूदगी वाले धान खरीदने के लिए उत्साहित नहीं होंगी और इन दोनों राज्यों में निजी कारोबारियों की भूमिका भी नगण्य है। ऐसे में किसानों को अपनी उपज का भंडार खुद ही तैयार करना पड़ेगा।
हरियाणा में असरहरियाणा के वैज्ञानिकों की राय है कि छिटपुट बारिश की वजह से इस वर्ष प्रदेश में धान की फसल की उत्पादकता प्रभावित होगी। उनका कहना है कि प्रदेश के कुछ इलाकों में जलजमाव देखा गया है। इसके चलते पौधों में अनाज भराव प्रक्रिया प्रभावित होगी, खास तौर पर बासमती किस्मों के धान में। नतीजतन उत्पादन गिरेगा। बारिश की वजह से धान में नमी की मात्रा भी बढ़ जाएगी। नतीजा यह होगा कि सरकारी एजेंसियां एवं निजी क्षेत्र की मिलें इन्हें खरीदने से कतराएंगी।'हरियाणा प्रदेश राइस मिलर ऐंड डीलर एसोसिएशनÓ के महासचिव जेवेल सिंघला ने बताया कि छिटपुट बारिश की वजह से प्रदेश के कुछ जिलों में बासमती धान की फसल प्रभावित होगी।
पंजाब में असरपंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने छिटपुट बारिश की वजह से धान की फसल को होने वाले नुकसान के आकलन के लिए विशेष गिर्दवारी का आदेश दिया है। प्रदेश सरकार के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने वित्त आयुक्त (राजस्व) को आदेश दे रखा है कि वे संबंधित उपायुक्तों को वर्षा प्रभावित इलाकों में धान की फसल को हुए नुकसान की गिर्दवारी प्रक्रिया जल्द निपटाने के लिए कहें। बादल ने यह भी कहा है कि सरकारी नियमों के मुताबिक प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।प्रदेश के किसानों को आशंका है कि सरकारी एजेंसियों एवं निजी क्षेत्र के कारोबारियों की ओर से धान खरीदारी के लिए जांच के समय उपज में अधिक नमी की मौजूदगी रहेगी, जिसकी वजह से उन्हें अस्वीकार कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि मॉनसून की अवधि बढऩे और भारी बारिश के चलते धान की फसलों को पहले ही काफी क्षति पहुंची है और अब यह बेमौसम फुहार किसानों के लिए जले पर नमक जैसा है।उल्लेखनीय है कि अनाज में नमी को लेकर एफसीआई के अडिय़ल रवैये की वजह से कई किसानों के वैसे अनाज, जिनमें 17 फीसदी से अधिक नमी होगी, उन्हें नहीं उठाया जाएगा। (BS hindi)
27 अक्टूबर 2010
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