चंडीगढ़ October 04, 2010
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपास की भारी मांग को देखते हुए इस बार भारतीय कपास निर्यातक खासे उत्साहित हैं। यही कारण है कि कच्ची कपास के निर्यात के वास्ते पंजीकरण के लिए बड़ी संख्या में निर्यातकों की भीड़ जमा होने लगी है और वे तेजी से इसके लिए आवेदन जमा कर रहे हैं। भारत के टेक्सटाइल आयुक्त कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि निर्यात योग्य कुल 55 लाख गांठों (एक गांठ में 170 किलोग्राम) के लिए पंजीकरण किया जाना है। इनमें से अब तक 17.5 लाख गांठों के पंजीकरण के लिए विभाग के पास आवेदन आ चुके हैं। जबकि बाकी आवदेन भी तेजी से मिलने की संभावना है। पहले दौर का पंजीकरण पूरा होने तक आधे से ज्यादा निर्यात योग्य कपास का पंजीकरण पूरा होने का अनुमान है। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक हालांकि इनमें से ज्यादातर आवेदनों में जरूरी दस्तावेज नहीं पाए गए हैं। ऐसे में कपास निर्यातकों को तय समय के अंदर जरूरी सभी दस्तावेज देने होंगे। पंजाब और हरियाणा (रोजाना करीब 13 से 14 हजार गांठ), मध्य प्रदेश (5000 गांठ), गुजरात (8000 गांठ), आंध्र प्रदेश और महाराष्टï्र (5 से 6 हजार गांठ रोजाना) की मंडियों में जोरदार आवक हो रही है। फिर भी कपड़ा मिल वाले परेशान हैं क्योंकि निर्यातकों ने भी अपनी भागीदारी बढ़ा दी है।अंंतरराष्टï्रीय बाजारों में भारतीय कपास की भारी मांग है। इसके अलावा इन्हें अच्छी कीमत भी मिल रही है। इसको देखते हुए कपास निर्यातक कारोबार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। इस समय कपास की कीमतें 37,000 से 38,000 रुपये प्रति कैंडी पर मजबूत बनी हुई हैं। हालांकि सभी तरह के कपास में इस समय लगभग 11 से 12 फीसदी तक की नमी पाई गई है इसके बावजूद अंतरराष्टï्रीय बाजारों में कपास की अच्छी कीमतें मिल रही है। कपास निर्यात से जुड़े एक बड़े कारोबारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बाढ़ के कारण पाकिस्तान और चीन में कपास की फसलों को भारी नुकसान होने से इस समय अंतरराष्टï्रीय बाजार में कपास की आवक काफी घट गई है। इसके चलते भारतीय कपास की पूछ-परख बढ़ी हुई है और इसे अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। क्योंकि इसकी तुलना में अमेरिकी कपास काफी महंगी है। ऐसे में निर्यातकों को इस बार कपास निर्यात से मोटी कमाई की उम्मीद है। अंतरराष्टï्रीय बाजार में कपास की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए भारतीय निर्यातक पूरी तरह से तैयार हैं। एक कपास निर्यातक ने बताया कि अमेरिकी कपास की कीमतें काफी ज्यादा है। इस कारण ज्यादातर कपास खरीदार भारतीय कपास की मांग कर रहे हैं। टेक्सटाइल आयुक्त कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रति दिन 35,000 से 36,000 गांठ यहां पहुंचने का अनुमान है। पूरे सीजन के दौरान कुल 325 लाख गांठ यहां पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। (BS Hindi)
05 अक्तूबर 2010
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