मुंबई October 26, 2010
कपास की कीमतों में जबरदस्त तेजी का असर अब कपड़ा बाजार पर भी पडऩे लगा है। पिछले 6 महीनों में कपास की कीमतें करीब 35 फीसदी बढ़ी हैं जिससे धागे के भाव बढऩे की वजह से कपड़े की कीमतें भी प्रभावित हो रही थीं। कपास की बढ़ती कीमतों की वजह से कपड़ा कारोबारियों ने भी अब अपने दाम 10-15 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। यार्न उत्पादकों की तरफ से बढ़ते दबाव को देखते हुए कपड़ा कारोबारी अगले 1 महीने में कीमतों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी और कर सकते हैं। दीवाली से ऐन पहले कीमतों में की गई बढ़ोतरी कपड़े की बिक्री को प्रभावित कर सकती है। 6 महीने पहले कपास की कीमतें 31000 रुपये प्रति कैंडी थी जो निर्यात की हवा से अब 42000 रुपये प्रति कैंडी से ऊपर पहुंच गई हैं। 1 साल पहले कपास 25000 रुपये प्रति कैंडी बिक रहा था। इस तरह देखा जाए तो 1 साल के अंदर कपास की कीमतें 68 फीसदी जबकि 6 महीने में 35 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। कपास की कीमतें बढऩे की वजह से बुनकरों की मजबूरी है कि वह अपने उत्पाद के लिए अधिक दाम मांगे। यार्न की कीमतें भी पिछले छह महीने में करीब 25 फीसदी तक बढ़ाई जा चुकी है। इसके बावजूद कपड़े के भाव पर ज्यादा असर नहीं दिखाई दे रहा था। लेकिन दशहरे के बाद कपड़ा कारोबारियों द्वारा भी कीमतें बढ़ाए जाने का ऐलान किया जाने लगा है। देश में यूनिफार्म बनाने वाली अग्रणी कंपनी जी फॉब के केतुल शाह कहते हैं कि इस बार देश में अधिक कपास उत्पादन की खबरें आ रही हैं जिसकी वजह से हमको लग रहा था कि कपास की कीमतें नियंत्रित हो जाएंगी, इसके अलावा हमारे पास करीब 3 महीने का स्टॉक भी था जिससे हमने अभी तक कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की थी लेकिन मजबूरी वश हमको कीमतों में बढ़ोतरी करनी ही पड़ी। केतुल शाह कहते हैं कि दशहरे के बाद हमने अपने उत्पादों में 8-15 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है जो आगे कपास की कीमतों पर निर्भर करेंगी कि इनको कम किया जाए या और बढ़ाया जाए।कपड़ा कारोबारियों की प्रमुख संस्था भारत मर्चेंट चैंबर के अध्यक्ष एवं राज फैब्रिक के चेयरमैन राजीव सिंघल कहते हैं कि दीवाली से ऐन पहले कीमतों में बढ़ोतरी करना सही कदम नहीं कहा जा सकता है लेकिन कच्चे माल की कीमतें आसमान पर जाने की वजह से मजबूरन कीमतों में बढ़ोतरी करनी ही पड़ी है। सिंघल के अनुसार कपड़ों के हिसाब से अलग अलग बढ़ोतरी की गई है। फिलहाल औसतन कपड़े की कीमतों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और कपास की बढ़ती कीमतों पर लगाम नहीं लगाया गया तो अगले एक दो महीने में एक और बढ़ोतरी बाजार में देखने को मिलेगी, क्योंकि कोई भी कारोबारी घाटे में सौदा नहीं कर सकता है।महाराष्ट्र टेक्सटाइल मर्चेंट मैन्यूफेक्चरस एसोसिएशन केमुंबई रीजन के अध्यक्ष एवं जीडीपी समूह के चेयरमैन शंकर केजरीवाल के अनुसार कपास की कीमतों की वजह से उत्पादन इकाइयां प्रभावित हो रही हैं। वर्तमान में जो कीमतें बढ़ाई गई हैं इसके बाद भी कपास की कीमतें नियंत्रण में नहीं आई तो 1-2 महीने में कपड़े के दाम 15-20 फीसदी तक और बढ़ जाएंगे। कपास की तेजी ने कारोबारियों के आगे दो ही रास्ते छोड़े हैं, कीमतों में बढ़ोतरी करेंं या फिर उत्पादन इकाइयों में ताला लगा दें। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। (BS Hindi)
27 अक्टूबर 2010
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