मुंबई October 29, 2010
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सिफारिश की है कि बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर एथेनॉल की कीमतें तय होनी चाहिए और उसे नियंत्रण मुक्त किया जाना चाहिए। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने अपनी सिफारिश योजना आयोग के अंतर्गत गठित समिति को भेजी है, जिसे एथेनॉल की कीमतें तय करने के लिए गठित किया गया है। मंत्रालय का यह भी मानना है कि अगर पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाना जरूरी है तो अगर तय दरों से ऊपर कीमतें जाती हैं तो उस एथेनॉल की बिक्री नुकसान पर किया जाना चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि एथेनॉल आधारित अन्य उद्योगों पर भी आयात का असर पड़ेगा, जिससे कीमतें कम होंगी।तेल कंपनियों को गन्ना आधारित एथेनॉल उत्पादकों की ओर से 700 किलोलीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए रुचिपत्र मिला है, जबकि सालाना अनुमानित जरूरत 1000 किलोलीटर है। शेष एथेनॉल की मांग को सीधे एथेनॉल बनाने वाले उत्पादकों की ओर से पूरा किया जाएगा, जो इसका उत्पादन रसायन के रूप में करते हैं। इससे राज्यों के उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी होगी, जो राज्यवार अलग अलग होता है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा, 'बाजार में एथेनॉल की आपूर्ति कम होने से कीमतें तय होने पर एथेनॉल उत्पादकों को नुकसान होगा। खाद्य मंत्रालय जहां पेट्रोल में एथेनॉल मिलाए जाने के पक्ष में है, वहीं उसकी राय है कि एथेनॉल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय आधार पर तय हो, या कु छ आधार मूल्य तय हो जाए, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके।' बहरहाल योजना आयोग की गठित समिति को अधिकार दिया गया है कि वह एथेनॉल की कीमतें तय करें। (BS Hindi)
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