कोच्चि October 14, 2010
केरल के मध्य और दक्षिणी इलाकों में हुई तेज बारिश का बहुत बुरा असर इलायची की फसल पर हुआ है। इस सत्र में इलायची का उत्पादन घटने के अनुमान हैं। उम्मीद की जा रही है कि इसके उत्पादन में 15 प्रतिशत की गिरावट आएगी, क्योंकि भारी बारिश की वजह से इलायची के पौध पर फंगस इनफेक्शन हो गया है। यह इलायची उत्पादन के बड़े इलाकों में देखा जा रहा है। इस साल राज्य के बारिश के तरीके में बहुत बदलाव आया है। अक्टूबर के अंत से दक्षिण पश्चिम मॉनसूनी बारिश शुरू होती है और पूर्वोत्तर मॉनसून खत्म हो जाता है। वहीं राज्य में हुई बेमौसम बारिश की वजह से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। राज्य के इडुक्की जिले में तेज बारिश से इलायची की पौध खराब हुई है। राज्य के कट्टापाना, वंदानमेडु, उडुबंचोला और अनाविलासम इलाकों में फंगस इनफेक्शन का प्रभाव बहुत ज्यादा है। इन इलाकों में छोटे और मझोले किसानों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के मुताबिक ज्यादा बारिश की वजह से पौधे और बीज खराब हो गए हैं। मजदूरों के संकट की वजह से कच्चे फलों को तोडऩे में भी कठिनाई हो रही है, इसकी वजह से भी बड़े पैमाने पर फसल प्रभावित हुई है। इस सत्र में कुल उत्पादन गिरकर 11,000 टन पहुंचने की उम्मीद है, जबकि सामान्य फसल 13,000-13,5000 टन होती है। बारिश की वजह से फसल की तोड़ाई और प्रसंस्करण पर भी असर पड़ा है। जो बीज तोड़कर रख लिए गए थे और अच्छी स्थिति में थे, वे भी भारी बारिश के चलते खराब हो गए हैं। एक इलायची उत्पादक पीजे कुरियाकोसे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मौसम अनुकूल न होने का असर पौध पर आने वाले दिनों में लगने वाले फूल पर भी बुरा असर पड़ेगा। उत्पादक इलाकों में पौधरोपण का काम चल रहा है साथ ही फसल की तोड़ाई का काम भी दिसंबर तक चलेगा। 90 दिन के सत्र में दो राउंड में फसल तोड़ी जाती है। इसके साथ ही इलाचयी के दाम गिरने से भी किसानों की चिंता बढ़ी है। नीलामी की औसत दरें फिलहाल 940 रुपये प्रति किलो हैं। वहीं इस माह की पहली तारीख को औसत कीमतें 1011 रुपये प्रति किलो और पिछले माह 25 तारीख को कीमतें 1038 रुपये प्रति किलो थीं। 4 सितंबर को इलायची के दाम 1323 रुपये प्रति किलो थे। कीमतों में गिरावट की वजह मौसमी आपूर्ति में बढ़ोतरी है। वहीं कीमतों में रोज-रोज होने वाली गिरावट से किसानों में अफरातफरी मची है। उनका कहना है कि खरीदारों के कार्टेल के चलते विभिन्न नीलामी केंद्रों पर कीमतें गिर रही हैं।जानकारों का कहना है कि इलाचयी की कीमतों में गिरावट आशा के विपरीत हो रही है, क्योंकि इलायची के बड़े आपूर्ति कर्ता ग्वाटेमाला में अभी कोई खास हलचल नही हैं। वहां पर स्थानीय मांग अच्छी है। किसानों को उम्मीद थी कि औसत कीमतें 1000 रुपये प्रति किलो से ऊपर रहेंगी, लेकिन कीमतों में गिरावट आ रही है। बहरहाल भारतीय इलायची का निर्यात बाजार भी बहुत बढिय़ा नहीं नजर आ रहा है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल अगस्त अवधि के दौरान छोटी इलायची के निर्यात में 33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं बड़ी इलायची के निर्यात में 82 प्रतिशत की गिरावट इस अवधि के दौरान आई है। इस दौरान कुल 290 टन छोटी और बड़ी इलायची का निर्यात किया गया, जबकि 2009-10 की समान अवधि में 800 टन निर्यात हुआ था। (BS Hindi)
16 अक्तूबर 2010
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