16 अक्टूबर 2010
त्योहारी मांग से सरसों के भाव में तेजी का रुख
तेल में त्योहारी मांग निकलने से सरसों की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। पिछले एक सप्ताह में वायदा बाजार में सरसों की कीमतों में 2.6 फीसदी और हाजिर बाजार में 2 फीसदी की तेजी आई है। खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है। साथ ही घरेलू बाजार में खरीफ तिलहनों की आवक भी शुरू हो गई है। अनुकूल मौसम से रबी में सरसों की बुवाई भी बढऩे की संभावना है। ऐसे में सरसों की मौजूदा तेजी स्थिर रहने के आसार कम हैं।वायदा बाजार में मजबूती नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवेशकों की खरीद बढऩे से पिछले एक सप्ताह में सरसों की कीमतों में 2.6 फीसदी की तेजी आ चुकी है। सात अक्टूबर को नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में सरसों का भाव 541.95 रुपये प्रति 20 किलो था, जो कि शुक्रवार को बढ़कर 556.30 रुपये प्रति 20 किलो हो गया। नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में 121,850 लॉट सरसों के खड़े सौदे हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि घरेलू बाजार में सरसों का बंपर स्टॉक बचा हुआ है। साथ ही खरीफ तिलहनों की आवक भी शुरू हो गई है। वैसे भी सरसों तेल के मुकाबले रिफाइंड सोया तेल और क्रूड पॉम तेल के भाव काफी नीचे हैं, इसलिए नवंबर के बाद त्योहारी मांग कम हो जायेगी। इससे सरसों की मौजूदा तेजी स्थिर रहने के आसार नहीं हैं। अलवर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में करीब 29-30 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है, जबकि उत्पादक मंडियों में खरीफ तिलहनों की दैनिक आवक शुरू हो गई है। इसीलिए आगामी दिनों में सरसों की पेराई कम हो जायेगी। ऐसे में सरसों की मौजूदा कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। कृषि मंत्रालय के चौथे अनुमान के मुताबिक वर्ष 2009-10 में सरसों का उत्पादन 64.13 लाख टन का हुआ था। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेंमत गुप्ता ने बताया कि त्योहारी मांग निकलने से सरसों की कीमतों में 50 से 60 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। राजस्थान की उत्पादन मंडियों में सरसों के भाव 2575 से 2600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। दिल्ली में इसका भाव 2700 से 2710 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। सरसों तेल के भाव बढ़कर 5400 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। खाद्य तेलों का आयात बढ़ा साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुसार सितंबर महीने में खाद्य तेलों के आयात में छह फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सितंबर महीने में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 960,752 टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 942,257 टन का निर्यात हुआ था। तेल वर्ष 2009-10 के नवंबर-09 से सितंबर के दौरान कुल खाद्य तेलों के आयात में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 84.08 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 79.75 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा खाद्य तेलों के थोक व्यापारी आलोक कुमार ने बताया कि पिछले आठ-दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी बनी हुई है। घरेलू बाजार में भी त्योहारी मांग निकलने से तेजी को बल मिला है। लेकिन खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होने से घरेलू बाजार में उपलब्धता ज्यादा है। वैसे भी सरसों के मुकाबले रिफाइंड सोया तेल और क्रुड पॉम तेल का भाव काफी नीचे है। इसीलिए नवंबर के बाद त्योहारी मांग कम हो जायेगी। (Business Bhaskar....aar as raana(
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें