चंडीगढ़ October 21, 2010
कपास की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है। इससे परिधान निर्माता और धागा उत्पादकों को संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। केंद्र सरकार के फैसले को इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए परिधान निर्माताओं ने कहा कि 55 लाख गांठ कपास के निर्यात को अनुमति देना गैर जरूरी था। इसकी वजह से घरेलू बाजार में कीमतों में जोरदार तेजी आई।पंजाब में कपास की कीमतों में जोरदार तेजी आई है। इस साल एक मन कपास की कीमत 3800 रुपये पर पहुंच गई है, जो पिछले साल 2400-2500 रुपये प्रति मन थी। जिंदल कोटेक्स के एमडी संदीप जिंदल ने कहा कि सरकार कपास के निर्यात पर ढील दे रही है, जबकि घरेलू खपत में तेजी आई है। इसकी वजह से कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।जिंदल ने कहा कि कपास की घरेलू मांग उच्च स्तर पर बनी हुई है, ऐसे में निर्यात किए जाने के बारे में फैसले पर सरकार को फिर से विचार करने की जरूरत है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने कहा कि कपास की कीमतों में इस साल आई तेजी की तीन प्रमुख वजहें हैं। इस साल पहले साल की तुलना में पहले का स्टॉक कम था, क्योंकि वैश्विक बाजार में कीमतों में तेजी रही। अग्रिम स्टॉक पिछले साल जहां 70 लाख गांठ था, वहीं इस साल अग्रिम स्टॉक महज 40 लाख गांठ रहा।कीमतों में तेजी का एक अन्य कारण पाकिस्तान की बाढ़ है। पाकिस्तान में कपास का करीब एक तिहाई रकबा बाढ़ की चपेट में आ गया, इसकी वजह से वैश्विक कपास कारोबार में तेजी का रुख बना। तीसरे- कपास की आवक में देरी की वजह से भी कीमतों पर दबाव बढ़ा। कुवाम इंटरनैशनल फैशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजीव गुप्ता ने कहा कि कपास के निर्यात को अनुमति दिए जाने से घरेलू विनिर्माताओं के लिए माल की कमी हो रही है। कपास की कीमतों में तेजी से निश्चित रूप से परिधान की कीमतों पर असर पड़ेगा और इसमें बढ़ोतरी होगी।सुपरफाइन निटर्स लिमिटेड के निदेशक अजित लाकड़ा ने सरकार से मांग की कि कीमतों पर नियंत्रण लगाने के लिए तत्काल कदम उठाया जाना चाहिए। खासकर अटकलबाजियों के चलते बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगना जरूरी है। उन्होंने मांग की कि कपास को जमा किए जाने की सीमा भी तय होनी चाहिए, जिससे जमाखोरी पर नियंत्रण लग सके। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें