लखनऊ October 21, 2010
उत्तर प्रदेश में इस साल पेराई सत्र के दौरान चीनी उत्पादन 30 फीसदी बढ़कर 65 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल प्रदेश में 52 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था। 2008-09 में यह आंकड़ा 40 लाख टन था। हाल ही में आई बाढ़ के कारण पेराई सत्र थोड़ा देर यानी नवंबर के मध्य से शुरू हो सकता है। इस साल देश में गन्ने का बुआई क्षेत्र और उत्पादन बढ़कर क्रमश: 21 लाख हेक्टेयर और 12.4 करोड़ टन होने का अनुमान है।उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के सचिव के एन शुक्ला ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हालांकि बाढ़ के कारण फसल को नुकसान हुआ है, जिससे लक्षित आंकड़ों में कुछ कमी आ सकती है।' इस बार अच्छा मॉनसून रहने से वसूली फीसदी बढ़कर 9.40 फीसदी होने की उम्मीद है, जिसका मतलब है गन्ने की प्रति इकाई से अधिक चीनी उत्पादन। अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) की घोषणा नहीं की है। पिछले साल एसएपी 165 रुपये प्रति क्विंटल था। लेकिन गन्ने की कमी और चीनी के रिकॉर्ड दाम के कारण मिलें किसानों से 280-300 रुपये प्रति क्विंटल पर गन्ना खरीद रही थीं।हालांकि इस सत्र में चीनी के भाव गिरकर 2,750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। राज्य में पंचायत चुनाव समाप्त होने के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गन्ने का एसएपी तय करेगी। गन्ना किसानों ने साफ कह दिया है कि वे 300 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम पर नहीं मानेंगे। उनका तर्क है कि गन्ना उगाने की लागत ही बढ़कर 250 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है और उन्हें कम से कम 50 रुपये प्रति क्विंटल का मार्जिन चाहिए। उत्तर प्रदेश सहकारी गन्ना सोसायटी महासंघ के श्रीकांत सिंह कहते हैं, 'गन्ना आयुक्त के साथ 12 अक्टूबर को हुई हमारी बैठक में हमने 325 रुपये प्रति क्विंटल की मांग की थी। हमने कहा था कि इसमें शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाला शीरा भी शामिल किया जाना चाहिए।' दूसरी ओर मिलों ने पिछले साल के दाम देने में असमर्थता जता दी है। शुक्ला ने बताया, 'हम चाहते हैं कि सरकार 180 रुपये प्रति क्विंटल एसएपी तय करे।'पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुड़ इकाइयां गन्ने के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल दे रही हैं। गुड़, खांडसारी और अनाज व्यापारी संघ के सदस्य नरेंद्र कुमार ने बताया कि नवंबर के पहले हफ्ते में खांडसारी इकाइयां भी काम करना शुरू कर देंगी। देश में होने वाले कुल गन्ना बुआई क्षेत्र में राज्य की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। (BS Hindi)
23 अक्टूबर 2010
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