26 जून 2009
स्टॉकिस्टों की बिकवाली धीमी पड़ने से हल्दी के भाव में तेजी
प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में पर्याप्त वर्षा न होने के कारण हल्दी की बुवाई गति नहीं पकड़ पा रही है। मौके का फायदा उठाने के लिए स्टॉकिस्टों ने बिकवाली घटा दी है जिससे हल्दी में तेजी का रुख बन गया है। उत्पादक मंडियों में हल्दी के भाव बढ़कर 5300 से 5650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पिछले दो दिनों में इसकी कीमतों में करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। उत्पादक मंडियों में बकाया स्टॉक कम है जबकि नई फसल आने में अभी करीब आठ महीने का समय शेष है।ऐसे में उत्पादक राज्यों में जल्दी ही मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो मौजूदा भावों में और भी तेजी की संभावना है। हल्दी व्यापारी पूनम चंद गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि प्रतिकूल मौसम के कारण अभी तक हल्दी की कुल बुवाई मात्र 40 फीसदी क्षेत्रफल में ही हुई है। जबकि पिछले साल जून के आखिर तक करीब 80 फीसदी क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी थी। इस समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का मात्र 15-16 लाख बोरी (एक बोरी 70 किलो) का स्टॉक ही बचा हुआ है। जबकि नई फसल आने में अभी करीब आठ महीने का समय शेष है। औसतन हर महीने घरेलू खपत और निर्यात मांग को मिलाकर दो लाख बोरी की जरूरत होती है। ऐसे में नई फसल की आवक के समय हल्दी का स्टॉक न के बराबर ही बचेगा। इसीलिए स्टॉकिस्टों ने पहले की तुलना में बिकवाली कम कर दी है जिससे हल्दी की तेजी को बल मिला है। निजामाबाद मंडी में गुरुवार को हल्दी के भाव बढ़कर 5300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जबकि यहां हल्दी का करीब दो लाख बोरी का स्टॉक है।इरोड़ स्थित मैसर्स ज्योति ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर सुभाष गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष देश में हल्दी की पैदावार 42 लाख बोरी होने की संभावना है। जबकि पिछले वर्ष देश में इसका उत्पादन 43 लाख बोरी का हुआ था। हालांकि उत्पादन में तो ज्यादा कमी नहीं आई लेकिन पिछले वर्ष नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों की मंडियों में बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था। जबकि चालू वर्ष में नई फसल के समय बकाया स्टॉक मात्र चार से पांच लाख बोरी का ही बचा हुआ था। ऐसे में चालू सीजन में देश में हल्दी की कुल उपलब्धता 46-47 लाख बोरी की ही होने का अनुमान है। जबकि देश की सालाना खपत भी करीब इतनी ही होती है। इरोड़ मंडी में भाव बढ़कर 5650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि स्टॉक करीब छह लाख बोरी का बचा हुआ है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 में देश से हल्दी के निर्यात में सात फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 52,500 टन का निर्यात हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2007-08 में देश से 49,250 टन का ही निर्यात हुआ था। मसाला बोर्ड ने निर्यात का लक्ष्य 50,000 टन का ही रखा था। (Business Bhaskar....R S Rana)
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