नई दिल्ली: चीनी की सट्टेबाजी रोकने की सरकारी कोशिशों की मार एनसीडीईएक्स के चीनी कारोबार पर साफ नजर आने लगी है। वायदा कारोबार पर रोक लगाने के सरकारी फैसले के बाद एनसीडीईएक्स के जरिए चीनी की खरीदारी में 66 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। चीनी के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगने के बाद जून में एनसीडीईएक्स पर होने वाली चीनी की खरीदारी सिर्फ 6,240 टन रही। एनसीडीईएक्स के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने एक्सचेंज के जरिए 18,750 टन चीनी की खरीद हुई थी। सरकार ने खुले बाजार में चीनी के दाम नियंत्रित करने के लिए 26 मई को चीनी के वायदा कारोबार पर रोक लगाने का फैसला लिया था।
बाजार के जानकारों के मुताबिक एनसीडीईएक्स पर 6,250 टन चीनी की खरीदारी जून अनुबंध से हुई है जो इसी महीने खत्म हुआ। एक्सचेंज पर चीनी की खरीदारी में कमी दर्ज की गई है क्योंकि कमोडिटी बाजार के नियामक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) ने कारोबारियों को जारी अनुबंध में नए पोजिशन लेने से मना कर दिया। सरकार द्वारा 26 मई को चीनी के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगने के बाद एफएमसी ने उसी दिन यह फैसला किया। वे कारोबारी जिन्होंने डर की वजह से कोई सौदा कर लिया था, उन्हें एफएमसी ने अपने सौदे निपटाने की अनुमति दे दी है। मई अंत में एफएमसी ने सभी एक्सचेंजों के लिए जारी एक निर्देश में कहा, 'दिसंबर 2009 तक चीनी में कोई नया कॉन्ट्रैक्ट नहीं होगा।' उसने यह भी कहा कि जून से नवंबर तक एम और एस ग्रेड की चीनी के मौजूदा कॉन्ट्रैक्स जारी रहेंगे ताकि इनमें हुए सौदों का निपटान हो सके। इसके अलावा कारोबारियों को चीनी के सौदे में कोई नई पोजिशन लेने की अनुमति नहीं है। सरकार ने पिछले तीन महीनों में चीनी पर सट्टेबाजी रोकने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। इनमें चीनी की भंडारण अवधि और कच्ची चीनी के आयात पर उठाए गए कदम शामिल हैं। इनके बावजूद चीनी के दाम पिछले छह महीनों में 30 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। (ET Hindi)
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