27 जून 2009
सोने का दाम तिगुना हो जाए तो कोई अचरज नहीं
भले ही सोना महंगा लग रहा हो, लेकिन आने वाले समय में सोना जिस स्तर को छू सकता है, उसके मुकाबले मौजूदा भाव सस्ता लगने लगेगा। इसकी वजह है कि अगले दस साल में सप्लाई सोने का भाव तय करेगी। दुनिया भर में वित्तीय बाजार में उथल-पुथल के कारण वर्ष 2009 की पहली तिमाही के दौरान सोने की मांग में 38 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि अगले वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार और निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हो जाएंगे, इसके बावजूद सोने की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर रहने का अनुमान है।अगले एक दशक में दुनिया भर में सोने की मांग औसत तीन हजार टन वार्षिक रहने का अनुमान है जबकि उत्पादन 2400 टन ही होगा। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि इस समय सोने की उत्पादन लागत 400 से 500 डॉलर प्रति औंस के बीच बैठ रही है, जो पांच साल पहले करीब 300 डॉलर प्रति औंस के बीच थी। इसको आधार मानकर देखंे तो अगले दस वर्ष में सोने की उत्पादन लागत एक हजार डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका मतलब यह है कि अगले दशक में सोने के भाव किसी भी सूरत में एक हजार डॉलर प्रति औंस से नीचे नहीं होंगे। वैसे यह कहा जा रहा रहा कि निवेशकों का रुझान और औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी के कारण अगले एक दशक में सोने के भाव तीन हजार डॉलर प्रति औंस के स्तर तक पहुंच जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दूसरी तरफ विश्लेषकों का कहना है कि अगले दशक में प्रति व्यक्ति 1.7 औंस सोने की खपत होगी। लेकिन मौजूदा रिजर्व को देखते हुए अगले सोलह वर्ष तक का ही सोना खदानों में बचा है। इसके बाद जो सोना होगा, वह लोगों के पास ही होगा। यह कुछ ऐसे तथ्य है जो आने वाले दशक में सोने को और कीमती बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस दशक की शुरूआती वर्षो में सोने के भाव 300 डॉलर प्रति औंस के आसपास थे, पर आंतकवादी घटनाओं में बढ़ोतरी, वित्तीय बाजार की अस्थिरता और मुद्रास्फीति बढ़ने के साथ प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर के कमजोर होने से सोने के प्रति निवेशकों का रुझान असुरक्षा की भावना के चलते तेजी से बढ़ा है। इस वजह से वर्ष 2008 में सोने ने एक हजार डॉलर का स्तर छू लिया था। मौजूदा दौर में निवेशकों की पहली पंसद सोना ही बना हुआ है। वहीं वर्ष 2005 के बाद से सोने के उत्पादन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है जो आगे भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि इस बीच सोने की मांग में भी विशेष बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। पर मांग और उत्पादन के बीच भारी अंतर होने से सोने की चमक बरकरार रहेगी। (Business Bhaskar)
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