29 जून 2009
क्रूड ऑयल में और सुधार होने की संभावना
एक बार रिकार्ड ऊंचाई छूने के बाद क्रूड ऑयल के दामों में सुधार का दौर शुरू हो गया है। इससे यह अटकलें भी तेज हो गई है कि साल के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल (158.99 लीटर) तक पहुंच सकता है। वहीं दूसरी तरफ चौथी तिमाही में क्रूड के औसत भाव 61 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर रहने का भी अनुमान लगाया जा रहा है।इस वजह से क्रूड के प्रति घरलू निवेशकों का भी विश्वास वापस लौटा है। इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि पिछले वर्ष तेजी के दौर के बावजूद अप्रैल और मई के दौरान मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में क्रूड का कारोबार 14676 करोड़ रुपये हुआ था, जबकि इस साल मंदी के बावजूद चालू वित्त वर्ष के पहले इन दो महीनों में 18950 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। इसके अलावा एमसीएक्स में वायदा सौदों में भी इस साल क्रूड के भावों में 75 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी भी देखी गई है। एक जनवरी को फरवरी वायदा क्रूड के भाव 1920 रुपये प्रति बैरल तक उतर गए थे, जबकि 27 जून को जुलाई वायदा भाव 3352 रुपये प्रति बैरल दर्ज किए गए हैं। हालांकि क्रूड वायदा सौदों में इस जोरदार तेजी की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल क्रूड के दामों में 61 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होना ही है। लेकिन क्रूड के कारोबार में आम लोगों का जुड़ाव भी भावों पर थोड़ा असर डाल रहा है। यह जान लेना जरूरी है कि क्रूड ऐसी कमोडिटी है, जिसकी डिलीवरी कम ली जाती है और निवेश के लिहाज से ही इसके सौदे किए जा रहे हैं।जहां तक वैश्विक बाजार में क्रूड के भावों में संभावित बढ़ोतरी की बात है। इसकी वजह पेरिस स्थित इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट है, जिसमें दस महीनों में पहली बार क्रूड की खपत में बढ़ोतरी का पूर्वानुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल क्रूड की खपत 1.20 लाख बैरल बढ़कर प्रति दिन 8.33 करोड़ बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है। क्रूड की खपत में बढ़ोतरी का कारण दुनिया भर में औद्योगिक उत्पादन में सुधार होना माना जा रहा है। यही कहा जा रहा है कि मांग में बढ़ने से साल के अंत तक क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल का स्तर बना सकता है। उल्लेखनीय है कि ऊर्जा की वैश्विक मांग को पूरा करने में क्रूड ऑयल की भागीदारी करीब चालीस फीसदी की है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिकने वाले क्रूड में करीब 55 फीसदी हिस्सा ओपेक देशों का होता है। दूसरी तरफ ओपेक देशों की अगली बैठक सितंबर में ही होगी और इसमें ही उत्पादन में बढ़ोतरी के बार में फैसला होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि अब जो हालात दिखाई दे रहे हैं, उसके मुताबिक क्रूड के भावों में अब बड़ी गिरावट की संभावना कम है। इसलिए क्रूड में निवेश करना निकट भविष्य में और लाभदायक हो सकता है। (Business Bhaskar)
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