मुंबई June 19, 2009
सरकार कपड़ा उद्योग के लिए एक राष्ट्रीय फाइबर योजना बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक यह नीति कार्यरूप ले लेगी। दरअसल कपड़ा उद्योग को राहत देने की तीन प्रमुख योजनाओं के तहत इसे कार्यरूप देने की तैयारी चल रही है, जिससे कपड़ा उद्योग को फायदा मिल सके।
चालू पंचवर्षीय योजना में 50 अरब डॉलर से अधिक के इस उद्योग के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। नई नीति की विस्तृत रूपरेखा सामने आना अभी बाकी है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह निरपेक्ष होगी, जिसमें प्रतिस्पर्धा बढ़ाने को खास महत्व दिया जाएगा।
इस क्षेत्र में कच्चे माल जैसे कपास, कपास के धागे, मानव निर्मित फाइबर, गारमेंट्स, बुनाई क्षेत्र, निर्यातक या घरेलू कारोबारी आदि लगे हुए हैं, उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रीय नीति से सभी को फायदा होगा।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन ने कहा, 'हम त्रिआयामी दृष्टिकोण पर काम कर रहे हैं, जिससे उद्योग को फायदा मिल सके। राष्ट्रीय फाइबर नीति में सभी हिस्सेदारों को निश्चित रूप से शामिल होना चाहिए। यह एक तटस्थ नीति होगी, जिससे न केवल निर्यातकों बल्कि घरेलू कारोबारियों को भी मदद मिलेगी।'
इसमें एक अहम बात यह भी है ऐसी नीति की जरूरत इसलिए भी है कि कुछ उद्योग समूह मिलकर टेक्सटाइल क्षेत्र में अपना हित साधने का काम कर रहे हैं। घरेलू बाजार में करीब 60 प्रतिशत हिस्सेदारी कपास के कपड़े की है, वहीं शेष मानव निर्मित फाइबर के हिस्से आता है।
भारतीय कपड़ा उद्योग संघ (कानफेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री) के चेयरमैन आरके डालमिया ने कहा, 'हमने सरकार से कहा है कि इस तरह की नीति बनाई जाए। इसमें एक निश्चित रूपरेखा होगी जो इस क्षेत्र की असमानताओं के चलते पैदा हुए विभाजन की खाई को भरेगी। इस समय स्थिति यह है कि विभिन्न उद्योग संघों की लॉबी अपने हितों को साधने के लिए दबाव बनाती हैं, जिससे बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचता है।'
मंत्रालय ने यह भी स्पस्ट कर दिया है कि वह इंडिया ब्रांड बनाना चाहता है और साथ ही घरेलू बाजार को भी बढ़ावा देना चाहता है, जो त्रिआयामी दृष्टिकोण का एक हिस्सा है। मारन ने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है और इस उद्देश्य को रातोंरात पूरा नहीं किया जा सकता।
इस साल के अंत तक यह नीति अंतिम रूप ले लेगी। एक बार अगर हम इन लक्ष्यों को हासिल कर लेते हैं तो उद्योग जगत 7-8 प्रतिशत विकास दर की राह पर चल पड़ेगा। (BS Hindi)
20 जून 2009
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