मुंबई June 23, 2009
सरकार अगर लौह अयस्क पर प्रस्तावित बाजार से जुड़ी रॉयल्टी और निर्यात शुल्क लगाती है तो भारत चीन के बाजार में अपना दबदबा खो सकता है।
यह कहना है फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) के महासचिव आर के शर्मा का। सरकार सभी तरह के लौह अयस्क पर 15 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है।
इसके अलावा वह लौह अयस्क के खनन से जुड़ी रॉयल्टी पर भी काम कर रही जो अनुमानत: बढ़कर हाजिर बाजार की बिकवाली की कीमतों का 10 फीसदी हो जाएगी। इन दो शुल्कों पर विचार करें तो लौह अयस्क की कीमतें 25 फीसदी तक बढ़ सकती हैं जिसके लिए चीन के आयातक किसी भी तरह तैयार नहीं होंगे।
शर्मा का कहना है कि ऐसे में चीन से बढ़ती मांग का फायदा हमारे प्रतियोगी ऑस्ट्रेलिया को मिलने लगेगा। यह बात बेहद महत्वपूर्ण है। वेल और रियो टिंटो ने चीन, जापान और यूरोपीय स्टील मिलों के लिए लंबी अवधि तक के लिए अयस्क की आपूर्ति के लिए 33 फीसदी तक की कमी की है और भारत भी इस बात को समझ रहा है। लेकिन दुनिया की दो बड़ी खनन कंपनियां यह चाहती है कि चीन की स्टील मिल कीमतों में इस कटौती को स्वीकार करें।
लेकिन चीन यह दबाव बना रहा है कि लंबी अवधि के लिए अयस्कों की आपूर्ति के लिए 45 फीसदी तक कीमतों में कटौती की जाए अगर यह स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे भारतीय अयस्क की कीमतें चीन के बाजार में कोई टक्कर नहीं दे पाएंगी।
एमएसपीएल हॉस्पेट के कार्यकारी निदेशक, राहुल एन बालदोता का कहना है, 'लेकिन बहुत कुछ मालभाड़े की ढुलाई पर निर्भर करेगा। अगर लौह अयस्क की मूल कीमतें गिरती हैं तो आगे मालभाड़े की लागत में भी गिरावट आएगी। अगर मालभाड़े की दर मौजूदा स्तर पर रहती है या फिर यह आगे बढ़ती है तब भारत में ज्यादा खनन लागत की वजह से निर्यात फायदा देने वाला नहीं होगा।'
भारत के निर्यातक ऑस्ट्रेलिया के 18-20 डॉलर प्रति टन और ब्राजील के 25 डॉलर प्रति टन के मुकाबले फिलहाल 15 डॉलर प्रति टन तक का भुगतान करते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच लौह अयस्क की हाजिर कीमतों के दायरे पर विचार करें तो भारत से होने वाला निर्यात मुनाफादायक होगा। लेकिन ऑस्ट्रेलिया से मालभाड़े की लागत में कोई भी राहत और भारत से शुल्कों में बढ़ोतरी से निर्यात प्रभावित हो सकता है।
इस बीच बीएचपी, वेल और रियो टिंटो के द्वारा समझौते को 30 जून से पहले तक पूरा करने के दबाव के मद्देनजर चीन ने यह नसीहत दी है कि देश का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश स्टील के उत्पादन में कटौती करने के लिए तैयार है, इसीलिए यह लौह अयस्क के आयात में कमी कर सकता है।
हालांकि मूल्यों पर बातचीत कर रहे चीन आयरन ऐंड स्टील एसोसिएशन अब स्टील निर्माताओं से यह कहने के लिए तैयार हुआ वे स्पॉट लौह अयस्क की खरीद कीमत पर सहमति बनाएं। अगर बातचीत असफल रहती है तो दुनिया में आपूर्ति बढ़ जाएगी। पिछले साल उत्पादन 3.6 फीसदी की दर से बढ़ा। (BS Hindi)
24 जून 2009
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