20 जून 2009
काली मिर्च की चाल पर नजर रखें कारोबारी
निर्यातकों की कमजोर मांग से पिछले एक सप्ताह में काली मिर्च की कीमतों में तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हाजिर बाजार में आई गिरावट का असर वायदा बाजार पर भी नजर आया। एनसीडीईएक्स पर जून महीने के वायदा अनुबंध में इस दौरान 2.3 फीसदी की मंदी आई है। चालू सीजन में देश में कालीमिर्च की कुल उपलब्धता पिछले साल से कम रही है। उधर स्टॉक घटने से वियतनाम द्वारा भाव बढ़ा दिये गये हैं। ब्राजील और इंडानेशिया की नई फसल आने में अभी समय है। ऐसे में आगामी दिनों में घरेलू बाजार में कालीमिर्च की कीमतों में तेजी की संभावना है।वायदा में गिरावटनेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर जून महीने के वायदा अनुबंध में पिछले चार दिनों में कालीमिर्च की कीमतों में 2.3 फीसदी की गिरावट आई है। 16 जून को वायदा पर इसके भाव 12,920 रुपये प्रति क्विंटल थे जबकि शुक्रवार को भाव घटकर 12,621 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि हाजिर बाजार में आई गिरावट के असर से वायदा बाजार में भाव गिरे हैं। चालू सीजन में पैदावार में कमी आने के साथ ही बकाया स्टॉक कम होने से भाव फिर तेज होने की उम्मीद है।निर्यातकों की कमजोर मांग बंगलुरू के कालीमिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बताया कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च के भाव 2650 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) चल रहे हैं। भारत की तुलना में वियतनाम के भाव कम होने से भारत से निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है। हालांकि वियतनाम की काली मिर्च के भाव 2350 डॉलर से बढ़कर 2400-2450 डॉलर प्रति टन हो गये हैं। वियतनाम में चालू सीजन में काली मिर्च की पैदावार 90 हजार होने की संभावना है। जबकि अभी तक वियतनाम करीब 56,000 टन की बिकवाली कर चुका है। अत: वियतनाम के पास अब केवल 40 फीसदी माल ही बचा हुआ है। जबकि वितयनाम की नई फसल आने में आठ-नौ महीने का समय शेष है। मालूम हो कि वियतनाम में नई फसल की आवक मार्च-अप्रैल महीने में होती है। इसीलिए वियतनाम द्वारा भाव बढ़ाकर बिकवाली की जा रही है। ऐसे में आगामी दिनों में भारत से निर्यातकों की मांग बढ़ने से भावों में तेजी का रुख बन सकता है।भाव से जुड़ा बाजार अनीश रावथर ने बताया कि भाव कम होने के कारण ही पिछले दो महीने में वियतनाम से करीब 5,000 टन कालीमिर्च का भारत में आयात हो चुका है। इस दौरान इंडोनेशिया से करीब 1,000 टन का आयात हुआ है। भारत वियतनाम, इंडोनेशिया और श्रीलंका से काली मिर्च का आयात कर पाउडर बनाकर निर्यात करता है। प्रोसेसिंग के बाद निर्यात करने के लिए काली मिर्च का आयात शून्य शुल्क पर किया जाता है जबकि वैसे आयात पर 70 फीसदी का आयात शुल्क लगता है।घटता जा रहा है निर्यातवित्त वर्ष 2008-09 में भारत से काली मिर्च के निर्यात में लगभग 28 फीसदी की कमी आई है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार इस दौरान काली मिर्च का निर्यात घटकर 25,250 टन रह गया है। जबकि वित्त वर्ष 2007-08 में 35,000 टन का निर्यात हुआ था।ब्राजील और इंडोनेशिया का हालब्राजील में कालीमिर्च की नई फसल की आवक अगस्त-सितंबर महीने में बनेगी। सामान्यत: ब्राजील में 24,000 टन (कालीमिर्च और सफेद मिर्च) की पैदावार होती है। इंडोनेशिया में नई फसल की आवक अक्टूबर-नवंबर महीने में बनेगी। इंडोनेशिया में कालीमिर्च की पैदावार 30 हजार टन की होती है। भारतीय काली मिर्च की क्वालिटी अन्य देशों के मुकाबले बेहतर होती है। इसलिए अन्य देशों के मुकाबले भारतीय कालीमिर्च के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेज रहते हैं।पैदावार और स्टॉक की स्थिति कोच्चि मंडी स्थित मैसर्स केदारनाथ संस के अजय अग्रवाल ने बताया कि केरल के उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम से पैदावार घटी है। चालू सीजन में देश में काली मिर्च की पैदावार 45,000 टन होने की संभावना है। जबकि पिछले वर्ष 50,000 टन की पैदावार हुई थी। पिछले साल नई फसल के समय बकाया स्टॉक भी 8,000-10,000 टन का बचा हुआ था लेकिन चालू वर्ष में बकाया स्टॉक मात्र 5,000 टन का ही बचा हुआ है। ऐसे में कुल उपलब्धता पिछले वर्ष के 60,000 टन के मुकाबले घटकर 50,000 टन ही होने की संभावना है। इस समय नीलामी केंद्रों पर आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है। स्टॉकिस्टों की बिकवाली और निर्यातकों की कमजोर मांग से पिछले एक सप्ताह में इसकी कीमतों में करीब 400 रुपये की गिरावट आकर एमजी वन की कीमतें 12,800 रुपये और अनगार्बल्ड के भाव 12,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है। लेकिन आगामी दिनों में निर्यातकों की मांग बढ़ने से भावों में फिर तेजी का रख बन सकता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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