राजकोट June 26, 2009
वायदा बाजार नियामक, वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का मानना है कि यह जरूरी नहीं कि किसान वायदा बाजार में सक्रिय रूप से शामिल हों।
एफएमसी के सदस्य डीएस कोलामकर ने कहा, 'किसान, वायदा बाजार में शामिल हुए बगैर वायदा कारोबार का फायदा उठा सकते हैं। यहां तक कि अमेरिका जैसे देश में भी किसान वायदा कारोबार में सक्रिय नहीं हैं।'
किसानों को केवल अपने उत्पाद की कीमतों के प्रति जागरूक रहना पड़ेगा। वायदा कारोबार उन्हें अच्छी कीमतें दिलाने में मददगार होगा, और वे कीमतों को लेकर मोलभाव करने में सक्षम होंगे। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे पिछले साल के भाव को अपने ताजा उत्पाद के लिए आधार न बनाएं, इससे उनका मुनाफा प्रभावित होगा।
कोलामकर इस बात से भी सहमत हैं कि जिंसों के वायदा कारोबार पर तेजी से प्रतिबंध लगाने से वायदा बाजार प्रभावित होगा। उनके द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक कृषि उत्पादों का कुल कारोबार वायदा बाजार में 68.80 प्रतिशत से घटकर 11.95 प्रतिशत पर आ गया है, जबकि बुलियन कारोबार 31.32 प्रतिशत से बढ़कर 62.65 प्रतिशत पर पहुंच गया है। (BS Hindi)
27 जून 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें