मुंबई June 21, 2009
इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर्स से मांग बढ़ने की वजह से देश भर की ढलाई इकाइयों (फाउंड्री यूनिट) में फिर से रौनक लौटने लगी है।
इन इकाइयों ने अपनी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी की है और यह पिछले साल दिसंबर के औसतन 40 फीसदी के मुकाबले फिलहाल 55-60 फीसदी हो गई है। इस उद्योग से जूड़े सूत्रों के मुताबिक उद्योग की औसतन 70 फीसदी उत्पादन क्षमता के मुकाबले इसमें 10-20 फीसदी तक की कमी है जिसको पूरा करने में अब भी इसे कम से कम 4-5 महीने लग सकते हैं।
पिछले साल सिंतबर में लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने तक फाउंड्री उद्योग का परिचालन औसतन 70 फीसदी तक हो रहा था। पिछले साल दिसंबर में ऑटोमोबाइल सेक्टर और खासतौर पर बड़े यूरोपीय और अमेरिकी बाजार से मांग में कमी आने की वजह से क्षमता में कमी आई और यह 50 फीसदी से भी नीचे चली गई।
हालांकि अब निर्यात मांग में महत्वपूर्ण रूप से तेजी आएगी। इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल से धीरे धीरे मांग बढ़ने की वजह से घरेलू मांग में उछाल आने के संकेत मिल रहे हैं। इस साल मार्च में केवल इंजीनियरिंग सेक्टर से ही मांग में 50 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है।
राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष भावेश पटेल का कहना है, 'यह ट्रेंड आने वाले साल में भी बरकरार रहेगा।' लगभग 500 छोटी और मझोले आकार की इकाइयां बंदी हो गई क्योंकि उपभोक्ता उद्योगों से मांग मिलनी बेहद कम हो गई। हालांकि अब इन उपभोक्ता उद्योगों ने अपने संयंत्रों को फिर से शुरू करने का सोचा है। लेकिन अब वे मांग के लगातार बने रहने का इंतजार कर रहे हैं। (BS Hindi)
22 जून 2009
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