नई दिल्ली June 22, 2009
महंगाई दर भले ही शून्य से कम चली गयी हो, लेकिन आलू की कीमत में पिछले साल के मुकाबले 60-180 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
लिहाजा पिछले साल जून माह के दौरान औने-पौने दाम (300 रुपये प्रति क्विंटल) पर आलू बेचने वाले किसान लागत के मुकाबले तिगुनी कमाई कर रहे हैं। हालांकि आलू के भाव बढ़ने से इसकी खपत में 10 फीसदी की कमी आयी है और आलू की अगली फसल भी समय से पहले आने की संभावना है।
इसलिए कारोबारी अब आलू की कीमत में और बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। आलू के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में फिलहाल आलू की कीमत 900 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह कीमत 350 रुपये प्रति क्विंटल थी। यानी कि 153 फीसदी की बढ़ोतरी।
सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में आलू के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले लगभग 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। लेकिन पश्चिम बंगाल, असम व बिहार में आलू के उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट के कारण उत्तर प्रदेश में आलू की कीमत आसमान पर पहुंच गयी है।
पश्चिम बंगाल में आलू की कीमत 180 फीसदी की उछाल के साथ 1080 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है। तमिलनाडु की मंडी में तो आलू तमाम रिकार्ड को तोड़ते हुए 1800 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर चला गया है। पिछले साल के मुकाबले यहां इसके भाव में 400 फीसदी का इजाफा हुआ है। वर्ष 2008 के दौरान देश भर में लगभग 2.7 करोड़ टन आलू का उत्पादन हुआ था।
आगरा के राया इलाके के किसान रवींद्र सिंह ने बताया कि एक बीघा जमीन से करीब 2000 किलोग्राम आलू का उत्पादन होता है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में 1000-1050 रुपये प्रति क्विंटल की दर से आलू की बिक्री हो रही है। इस हिसाब से 20 क्विंटल आलू के बदले उन्हें 20,000 रुपये मिल रहे हैं।
जबकि उनकी प्रति बीघा लागत ढुलाई खर्च समेत 7200-7500 रुपये की होती है। आलू का उत्पादन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल व गुजरात में होता है। 25 सालों से आलू के थोक कारोबारी सुभाष कहते हैं, 'अब आलू की कीमत में सुधार शुरू हो जाएगा क्योंकि कीमत अधिक होने से इसकी खपत में 10 फीसदी तक की कमी आ गयी है और ऊना व असम में 15 अगस्त तक नयी फसल आने की उम्मीद है।'
आलू के भाव में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण नए कोल्ड स्टोरेज का निर्माण भी बताया जा रहा है। अकेले उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल के दौरान 200 से अधिक कोल्ड स्टोरेज बनाये गये हैं। थोक कारोबारियों के मुताबिक इन दिनों आलू की घरेलू मांग अधिक होने से नेपाल होने वाले आलू निर्यात में कमी आयी है। इन दिनों प्रति सप्ताह महज 10 टन आलू ही नेपाल भेजा जा रहा है जबकि पिछले साल प्रति सप्ताह 170 टन आलू की आपूर्ति नेपाल के लिए की जा रही थी। (BS Hindi)
23 जून 2009
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