कोच्चि June 22, 2009
मानसून आने की वजह से प्राकृतिक रबर के बाजार में फिलहाल मंदी का रुख बरकरार है।
बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमतें में कमी आई और अब यह 96.50-97 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। सात दिनों के अंदर ही बाजार में 3-3.50 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कमी आई क्योंकि महीने की 10 तारीख को यह 100 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
मानसून की सक्रियता की वजह से रबर की खेती वाले क्षेत्रों में प्रसंस्करण और टैपिंग का काम प्रभावित हुआ है। हालांकि कीमतों में अब भी गिरावट आ रही है। सामान्य तौर पर मानसून से गुणवत्ता वाले रबर की आवक की कमी की वजह से बाजार में कीमतों में तेजी देखी जाती है।
स्थानीय कारोबारियों के मुताबिक बाजार में बड़े खिलाड़ियों की मजबूत पकड़ वायदा कारोबार में है क्योंकि यह बाजार असामान्य तरह से अपनी प्रतिक्रिया देता है। उनका कहना है कि आगे भी कीमतों में गिरावट की पूरी संभावना है क्योंकि किसानों के एक बड़े वर्ग ने मानसून के वक्त मुनाफा पाने के मकसद से रबर का भंडार तैयार किया है।
इसी वजह से आने वाले हफ्ते में आपूर्ति में बढ़ोतरी हुई और इससे सितंबर से शुरू होने वाले मुख्य उत्पादन के सीजन का असर कीमतों पर भी पड़ेगा। वैसे किसानों के बीच इस बात पर बेहद चर्चा की जा रही है और कीमतें जून-जुलाई में 130 रुपये तक हो जाएंगी। अप्रैल और मई के दौरान उत्पादन में में गिरावट हुई और मई में कीमतों में बढ़ोतरी हुई और यह 100 रुपये पर पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने के बाद भी यहां कीमतों में तेजी आई। इस महीने में उत्पादन में 13 फीसदी तक की कमी आई और यह वर्ष 2008 के समान अवधि के 123,115 टन के मुकाबले 106,500 टन हो गया। उत्पादन में कमी की क्षतिपूर्ति आयात में बढ़ोतरी करके की गई और आयात 14,341 टन के मुकाबले 24,743 टन हो गया।
इसी वजह से प्राकृतिक रबर के बाजार में आपूर्ति की कोई गंभीर समस्या नहीं थी। लेकिन अप्रैल-मई के दौरान वैश्विक बाजार के मुकाबले भारतीय बाजार में औसतन 17 रुपये प्रति किलोग्राम तक की तेजी रही। स्थानीय कीमत में गिरावट के बावजूद भी कीमतों का अंतर लगभग समान ही रहा ऐसे में मौजूदा वित्तीय वर्ष में आयात के लिए ज्यादा मौके होंगे।
वैश्विक बाजार में भी समान तरह की स्थिति बनने वाली है क्योंकि इस हफ्ते यहां कीमतें 80 रुपये प्रति किलोग्राम रहीं। वैश्विक बाजार के मांग में बहुत कमी आई है क्योंकि कई उपभोक्ता देशों में काफी हद तक खरीद में कटौती की है।
अमेरिका में प्राकृतिक रबर की खपत में 50 फीसदी तक की कमी आई है और यूरोपीय यूनियन में 40 फीसदी तक की कमी आई है। जापान की खरीद में 25-30 फीसदी तक की कमी आई है और चीन की मांग में 5-10 फीसदी तक की कमी आई है।
दुनिया भर में प्राकृतिक रबर के बाजार बेहद गंभीर संकट के दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि मौजूदा वैश्विक संकट की वजह से मांग का पक्ष थोड़ा कमजोर होता जा रहा है। स्थानीय कारोबारियों और किसानों को मानसून की बौछार के बीच आने वाले हफ्ते में मंदी का रुख नजर आ रहा है। (BS Hindi)
23 जून 2009
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