30 जून 2009
खाद्य तेलों की कीमतों में बनी रहेगी स्थिरता
नई दिल्ली- खाद्य तेलों के आयात में तेजी के कारण लंबे समय तक कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है। मानसून में देर तथा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत में खरीफ सीजन में कम बुआई से मार्केटिंग सीजन के अंत तक आयात में तेजी बनी रहेगी, भले ही दूसरी ओर दुनियाभर में तेल की कीमतों में तेजी हो। उदाहरण के तौर पर अप्रैल से मई के दौरान आयात में उस समय तेजी आई जब दुनियाभर में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान आरबीडी पामोलीन की कीमतें 48 डॉलर, क्रूड पाम आयल 70 डॉलर, क्रूड सोयाबीन आयल 57 डॉलर और सनफ्लावर आयल की कीमतें 45 डॉलर के स्तर पर देखी गईं। खाद्य तेलों की मार्केटिंग का साल नंवबर से लेकर अक्टूबर के बीच होता है। मौजूदा मार्केटिंग साल में रिकॉर्ड 75 लाख टन तेलों का आयात होने का अनुमान है। इनमें पाम ग्रुप आयल के आयात में प्रमुखता रहेगी। पिछले तेल सत्र में 63 लाख टन वनस्पति तेल का आयात किया गया था। आयात के इसी रिकॉर्ड स्तर से इस बात की आस जगी है कि खाद्य तेलों के दाम पर अंकुश बरकरार रहेगा। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस साल के मई तक देश में खाद्य तेलों का आयात पिछले साल की समान अवधि में 3,02,345 टन से 130 फीसदी बढ़कर 6,96,625 के स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा मई में कुल तेलों का आयात बढ़कर 7.51 लाख टन हो गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.61 के स्तर पर था। इस साल केवल अप्रैल में ही 6.99 लाख टन तेलों का आयात हुआ और कुल तेलों के आयात में खाद्य तेलों का आयात 6.96 लाख टन का रहा जबकि शेष हिस्सा गैर खाद्य तेलों का था जो औद्योगिक इस्तेमाल में काम आता है। (ET Hindi)
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