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25 जून 2009

म्यांमार में भाव बढ़ने से अरहर के दाम पहुंचे रिकार्ड स्तर पर

घरेलू मंडियों में कमजोर स्टॉक और म्यांमार में भाव बढ़ने से अरहर के दाम रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। लातूर और गुलबर्गा मंडियों में देसी अरहर के भाव बढ़कर 4500-4550 रुपये प्रति क्विंटल और आयातित लेमन अरहर के भाव मुंबई पहुंच 4300-4350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। म्यांमार के निर्यातकों ने भाव बढ़ाकर 890-900 डॉलर प्रति टन बोलने शुरू कर दिए हैं। घरेलू फसल आने में अभी करीब छह महीने का समय बाकी है। ऐसे में इसके मौजूदा भावों में और भी तेजी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि म्यांमार के निर्यातकों ने लेमन अरहर के भाव पिछले एक सप्ताह में 830-840 डॉलर से बढ़ाकर 890-900 डॉलर प्रति टन कर दिए हैं। घरेलू बाजार में कमजोर स्टॉक और मानसून की देरी से भी तेजी को बल मिला है। वैसे भी पिछले चार महीने से तमिलनाडु सरकार हर महीने करीब दो लाख टन अरहर दाल की खरीद निविदा के माध्यम से कर रही है। सूत्रों के अनुसार सरकारी कंपनियों एसटीसी, एमएमटीसी, पीईसी और नैफेड ने वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 95,140 टन लेमन अरहर का आयात किया।बंदेवार दाल एंड बेसन मिल के डायरेक्टर सुनील बंदेवार ने बताया कि स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आने और अरहर दाल की मांग अच्छी होने से प्रमुख उत्पादक मंडियों लातूर और गुलबर्गा में देसी अरहर के भाव बढ़कर क्रमश: 4500-4550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अरहर दाल के भाव बढ़कर इस दौरान 6300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। फुटकर बाजार में इसके भाव बढ़कर 75-80 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। इस समय गुलबर्गा मंडी में करीब चार लाख क्विंटल, लातूर में करीब दो लाख क्विंटल और जलगांव तथा जालना मंडी में दो-ढ़ाई लाख क्विंटल का ही स्टॉक बचा है। घरेलू मंडियों में अरहर की नई फसल की आवक नवंबर-दिसंबर महीने में शुरू होगी। अत: नई फसल आने में अभी करीब पांच-छह महीने का समय शेष है। इसलिए स्टॉकिस्ट की बिकवाली कम आ रही है। दलहन व्यापारी विजेंद्र गोयल ने बताया कि महाराष्ट्र के लातूर, नानदेड़, पुणो और जलगांव लाईन में हाल ही में वर्षा होने से बुवाई का कार्य गति पकड़ेगा। हालांकि अभी तक विदर्भ लाइन में वर्षा नहीं होने से बुवाई में तेजी नहीं आई है। उधर कर्नाटक के गुलबर्गा, गदक, रायचूर और यादगिर में अच्छी बारिश हुई है। कर्नाटक में अभी तक करीब 40-45 फीसदी क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी है जबकि महाराष्ट्र में 25-30 फीसदी में ही बुवाई हुई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 के दौरान देश में अरहर की पैदावार घटकर 23 लाख टन ही होने की अनुमान है। जबकि पिछले वर्ष देश में इसकी पैदावार 30 लाख टन की हुई थी। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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