नई दिल्ली June 19, 2009
चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने और जमाखोरी रोकने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने चीनी व्यापारियों पर लागू स्टॉक सीमा आदेश की अवधि को 6 महीने और बढ़ाकर 8 जनवरी 2010 कर दी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। इस साल 9 मार्च को सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी और सीमा की अवधि 4 महीने के लिए वैध थी। चीनी की जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट की बैठक के बाद यहां संवाददाताओं को बताया, 'आदेश के कार्यान्वयन की अवधि बढ़ाने से चीनी की कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकेगा और इसकी उपलब्धता में भी सुधार होगा।'
प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के मुख्य सचिवों से बातचीत करने का निर्देश दिया है। स्टाक सीमा आदेश के तहत कोई डीलर 2000 क्विंटल तक चीनी का भंडारण कर सकता है। हालांकि कोलकाता में यह सीमा 10 हजार क्विंटल है जो देश में चीनी के कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र है।
सरकार ने यह भी तय किया है कि चीनी प्राप्त होने की तारीख के 30 दिन के भीतर व्यापारी उसे बेच दे। केंद्र सरकार ने किसी व्यापारी द्वारा भंडारण की जाने वाली अधिकतम मात्रा तय कर दी है जबकि राज्य सरकारें इस सीमा को कम करने के लिए स्वतंत्र हैं।
केंद्र ने हाल ही में राज्यों से कहा है कि वे चीनी की भंडारण सीमा का कार्यान्वन करें क्योंकि केवल पांच राज्यों ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है जबकि दो राज्यों ने अधिसूचना जल्द जारी करने का वायदा किया है।
पिछले सप्ताह राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक में केंद्र सरकार ने संकेत किया था कि वह राज्य सरकारों और संघशासित प्रदेशों से लगातार आग्रह कर रही है कि वे भंडारण की सीमा के आदेश का कार्यान्वयन करें, लेकिन कई राज्यों ने कोई जवाब नहीं दिया है।
केंद्र के आग्रह पर सकारात्मक कदम उठाने वाले 10 राज्यों में से सिक्किम त्रिपुरा और पांडिचेरी ने कहा है कि उन्हें अपने यहां केंद्रीय आदेश लागू करने की आवश्यकता नहीं है जबकि मध्य प्रदेश और हरियाणा ने इसे लागू करने का वायदा किया है। स्टॉक सीमा आदेश केवल महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में लागू हो रहा है।
कई राज्यों को चूंकि स्टाक और कारोबार की सीमा के बारे में आदेश की अधिसूचना जारी करनी है इसलिए केंद्र सरकार का आदेश लागू नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि चीनी की कीमतें हालांकि इस समय घरेलू बाजार में स्थिर हैं लेकिन सरकार त्यौहारी सीजन के दौरान चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा
सरकार ने जूट उत्पादकों को बड़ी राहत देते हुए 2009-10 के लिए इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 10 प्रतिशत बढ़ाकर 1375 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक में असम के टीडी 5 ग्रेड के जूट का एमएसपी बढ़ाना तय किया गया। बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने संवाददाताओं को बताया कि एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों को जूट उत्पादन में निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।
भारतीय जूट निगम मूल्य समर्थन परिचालन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करना जारी रखेगी और यदि कोई नुकसान होता है तो सरकार उसकी भरपाई करेगी। जूट उत्पादन के 2008-09 सत्र के दौरान 95.31 लाख गांठ रहने की उम्मीद है जो पूर्व सत्र में 101.21 लाख गांठें था। एक गांठ का वजन 170 किलो होता है। देश में जूट का अधिकांश उत्पादन पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उडीसा, आंध्र प्रदेश और त्रिपुरा में होता है।
त्रिपुरा की बिजली परियोजना को मंजूरी
सरकार ने त्रिपुरा में 421.01 करोड़ रुपये के निवेश से 100 मेगावॉट गैस आधारित बिजली परियोजना को मंजूरी दे दी। गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि त्रिपुरा में 100 मेगावाट गैस आधारित परियोजना को पूर्वोत्तर बिजली निगम लिमिटेड संचालित करेगा।
इसकी अनुमानित लागत 421.01 करोड़ रुपये आएगी। चिदंबरम ने बताया कि त्रिपुरा में ऊर्जा खपत में जबर्दस्त बढ़ोतरी के मद्देनजर इस परियोजना को मंजूरी दी गई है। (BS Hindi)
20 जून 2009
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