नई दिल्ली- भारतीय मौसम विभाग को यह विश्वास है कि मानसून मुंबई और पश्चिमी तट पर 2-3 दिन के भीतर लौट आएगा। इसके बावजूद केंद्र महत्वपूर्ण दक्षिण पश्चिम मानसून में 23 जून के बाद देर होने की सूरत से निपटने के लिए समग्र आपातकालीन योजना तैयार कर रहा है। अगर यह मानसून देश के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में पहुंचने में देर लगाता है तो देश भर में फसल पर भारी चोट पड़ सकती है। केंद्र सरकार ने ऐसे क्षेत्रों में सूखे का मुकाबला करने में सक्षम बीजों की किस्मों की आपूर्ति बढ़ा रही है, जो वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर करते हैं। मानसून की गाड़ी लेट होने से निकट भविष्य में अनाज का निर्यात करने की उम्मीद भी दम तोड़ रही है।देश में इस साल 1-17 जून के बीच हुई बारिश पिछले साल के मुकाबले 45 फीसदी कम रही है। 72.55 मिलीमीटर की सामान्य वर्षा की तुलना में इस बार बारिश केवल 39.55 मिमी पर सिमट गई। मौसम विभाग के कुल 36 सब डिविजन में से आठ में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, लेकिन 28 सब डिविजन में सामान्य से कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। कहानी यहीं नहीं खत्म होती। हालात बदतर इसलिए बने क्योंकि बारिश का भौगोलिक बंटवारा काफी असंतुलित रहा जिससे तमाम क्षेत्रों में कई फसल के बीजों की बुआई ही नहीं हुई। हालांकि, जुलाई मसालों की बुआई के लिए अहम वक्त माना जाता है, लेकिन कई दूसरी फसलों के लिए बुआई जून के मध्य में ही शुरू हो जाती है। महत्वपूर्ण राज्यों के साथ कृषि मंत्रालय के अधिकारियों की शीर्षस्तरीय बैठक यहां 25 जून को होनी है, जिसमें मानसून के 23 जून के बाद धोखा देने की स्थिति में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए आपातकालीन रणनीतियों पर राज्यों की तैयारी की समीक्षा होगी। इस बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री और कृषि आयुक्त भी शिरकत करेंगे।
दांव पर देश की खाद्य सुरक्षा और सतत आर्थिक वृद्धि लगी है। हालांकि, कुल जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी केवल 18 फीसदी है, लेकिन आबादी का तीन-चौथाई हिस्सा अब भी कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों से आमदनी जुटाता है।जिन राज्यों को इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया है, उनमें गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड और बिहार शुमार हैं। ये सभी राज्य उत्तरी प्रायद्वीप, पश्चिमी या उससे जुड़े मध्य मैदानी क्षेत्र से सटे हैं।एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'न्यूमेरिकल अनुमान मॉडल समेत कुछ ही मॉडलों ने हमें मानसून में 25 जुलाई तक जान पड़ने का अंदाजा दिया है। हमारे समक्ष अंतिम प्रस्तुतिकरण में भारतीय मौसम विभाग ने 18 जून को मानसून के लौटने की बात कही थी। लेकिन अगर मानसून 25 जून के बाद भी लेट हुआ तो क्या होगा? हमें हर तरह की स्थिति के लिए आपातकालीन योजना के साथ तैयार रहना होगा क्योंकि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है, लेकिन वह काफी हद तक बारिश पर निर्भर करता है। इस बैठक में अगली आपातकालीन रणनीति का खाका खींचा जाएगा।' (ET Hindi)
22 जून 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें