नई दिल्ली- अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के बासमती चावल के निर्यात की राह में रोड़ा डालने की पाकिस्तान की कोशिशें ज्यादा प्रभावी होती नहीं दिख रही हैं। देश से इस साल बासमती चावल का निर्यात 30 सितंबर तक 20 लाख टन के पार जाने के पूरे आसार दिख रहे हैं। भारत से होने वाले बासमती निर्यात का एक तथ्य काफी अहम है कि इस निर्यात का एक बड़ा हिस्सा बासमती की नई किस्म पूसा-1121 का है। आंकड़ों से पता चल रहा है कि मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष 2008-09 में 17.5 लाख टन बासमती और पूसा-1121 का निर्यात हुआ। साल 2008 के अप्रैल में जब गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगी ही थी, उस वक्त अकेले बासमती का ही निर्यात 2.5 लाख टन के आसपास था। सरकार को तब यह तय करना था कि वह पूसा-1121 को निर्यात होने वाले बासमती की किस्म के तौर पर मानेगी या नहीं। इसके बाद मई और सितंबर के बीच बासमती का निर्यात 1.5 लाख टन पर सिमट गया। अक्टूबर 2008 में सरकार ने तय किया कि वह निर्यात करने के लिए पूसा-1121 को बासमती का दर्जा देगी। इस कदम से बासमती की परिभाषा को और विस्तार कर दिया गया। इस परिभाषा के तहत उन सभी विकसित की गई बासमती को बासमती का दर्जा दिया गया जिनमें किसी भी एक पारंपरिक बासमती के पैतृक लक्षण हैं। इस परिभाषा के तहत पारंपरिक बासमती के पितृ तत्व वाले सभी चावलों को बासमती माना गया।
साल 2008-09 में आठ लाख टन के साथ पूसा-1121 का रिकॉर्ड निर्यात हुआ। यह निर्यात पाकिस्तान के भारी प्रतिस्पर्धा देने, न्यूनतम निर्यात कीमत (एमईपी) की वजह से हुए नुकसान और खाद्यान्नों पर लगी कस्टम ड्यूटी के प्रतिरोधों के बावजूद रहा। अक्टूबर 2008 से पूसा-1121 का भारतीय बासमती चावल के निर्यात में हिस्सा लगातार बढ़ता ही गया। मार्च 2009 तक बासमती निर्यात करीब 18 लाख टन रहा है। दिल्ली के एक बासमती निर्यातक के मुताबिक, 'पूसा-1121 का उत्पादन पंजाब, हरियाणा और दूसरे राज्यों में तेजी से बढ़ रहा है। इस किस्म के चावल में बासमती के सभी गुण होते हैं। मसलन यह लंबा होता है, साथ ही यह सूखा हुआ और अलग-अलग होता है। पूसा-1121 में बासमती के मुकाबले कुछ अंतर भी होते हैं लेकिन इस वजह से दुनिया भर में मौजूद खरीदारों में इसके प्रति आकर्षण में कोई कमी नहीं आई है। बासमती की दूसरी किस्मों के मुकाबले पूसा-1121 को ग्राहक ज्यादा पसंद करते हैं।' कारोबारियों को लग रहा है कि पूसा-1121 के लिए बड़ी मांग ईरान से आ सकती है। एक कारोबारी के मुताबिक, 'इसका मतलब होगा कि निर्यात में इस साल करीब 10 फीसदी का इजाफा।' कारोबारी कहते रहे हैं कि पाकिस्तानी बासमती के निर्यात में बढ़ोतरी से भारतीय बासमती के निर्यात को तगड़ा झटका लगा है। सरकार के बासमती के निर्यात के लिए एमईपी को 1,200 डॉलर प्रति टन तय किए जाने से घरेलू बासमती निर्यात पर असर पड़ा है। इसके अलावा सरकार ने निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए इस पर 200 डॉलर प्रति टन का एक्सपोर्ट कर भी लगा दिया। बासमती की कीमतें इस वक्त 1,300 से 1,500 डॉलर प्रति टन पर चल रही हैं। पिछले साल अप्रैल में सरकार ने बांग्लादेश, नेपाल और कुछ अफ्रीकी देशों को छोड़कर दूसरे देशों को होने वाले गैर-बासमती के निर्यात पर रोक लगा दी थी। (ET Hindi)
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