Jun 25, 04:06 pm
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गन्ना खेती से किसानों के मुंह मोड़ने से परेशान केंद्र सरकार ने गन्ना वर्ष 2009-10 के लिए गन्ने का वैधानिक न्यूनतम मूल्य [एसएमपी] 32 फीसदी बढ़ाकर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। यह मूल्य 9.50 प्रतिशत की रिकवरी पर दिया जाएगा। रिकवरी दर में प्रति प्वाइंट की वृद्धि पर 1.13 रुपये प्रीमियम के तौर पर अलग से मिलेंगे। जबकि पिछले गन्ना सत्र में नौ फीसदी की रिकवरी पर 81.18 रुपये का एमएसपी तथा प्रत्येक अतिरिक्त प्वाइंट की रिकवरी दर पर 90 पैसे का प्रीमियम निर्धारित किया गया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को गन्ने के एसएमपी को मंजूरी दी गई। यह जानकारी गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने पत्रकारों को दी।
हालांकि गन्ने के एसएमपी के लिए कृषि लागत व मूल्य आयोग [सीएसीपी] ने 125 रुपये प्रति क्विंटल के एसएमपी की सिफारिश की थी, जिसे घटाकर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल एसएमपी की घोषणा की गई है। दरअसल, महाराष्ट्र में चुनाव के मद्देनजर कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने महीन चाल चली है, जिससे महाराष्ट्र व तमिलनाडु के किसानों को सीधा फायदा होगा। गन्ने की अतिरिक्त रिकवरी पर मिलने वाले प्रीमियम में 23 पैसे प्रति प्वाइंट की जो वृद्धि की गई है, उसका सर्वाधिक लाभ इन्हीं राज्यों के गन्ना किसानों को मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में गन्ने से रिकवरी की दर 11.50 से लेकर 12 फीसदी तक है।
उत्तर प्रदेश में चूंकि चीनी की रिकवरी दर महाराष्ट्र और तमिलनाडु के मुकाबले कम रहती है, इसलिए राज्य के किसानों को गन्ने का मूल्य ज्यादा से ज्यादा 110.58 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा। पिछले साल उत्तर प्रदेश के गन्ने का मूल्य 84.50 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा था। महाराष्ट्र और तमिलनाडु में उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राज्य समर्थित मूल्य [एसएपी] नहीं दिया जाता है, जिसकी भरपाई के लिए पवार ने प्रीमियम 90 पैसे प्रति प्वाइंट से बढ़ाकर 1.13 रुपये कर दिया है। इस आधार पर महाराष्ट्र व तमिलनाडु के किसानों को गन्ने का दाम 140 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिलना ही है।
दरअसल, गन्ने के इस एसएमपी का औचित्य उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कुछ खास नहीं है। इसके मुकाबले राज्य सरकार अपना एसएपी घोषित करती है, जो इसके मुकाबले 40 से 50 रुपये प्रति क्िवटल अधिक होता है। लेकिन वर्ष 2008-09 के गन्ना सत्र के दौरान चीनी मिलों ने 140 से 160रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया है। इसे देखते हुए राज्य के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार की इस घोषणा से निराशा ही हुई है।
गन्ना किसान नेता अवधेश मिश्र ने हैरानी जताते हुए कहा कि न जाने क्यों सरकार गन्ने की लागत को नजरअंदाज कर एसएमपी घोषित करती है। एक बार फिर उत्तर प्रदेश के किसानों को छला गया है। एसएमपी की घोषणा से हताश गन्ना किसान नेता चौधरी अनिल सिंह का कहना है कि निराश किसानों ने गन्ना खेती से पहले ही दूरी बना ली है। अब गन्ना खेती का रकबा और घटेगा। गन्ने की खेती घटी तो चीनी में किल्लत रहेगी ही। सरकार ने दूसरी बार सीएसीपी की सिफारिश को खारिज किया है। गन्ना खेती की लागत 140 रुपये प्रति क्विंटल पड़ती है। (Dainik Jagran)
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