मुंबई: मॉनसून के आगे बढ़ने के बाद सोमवार को कमोडिटी एक्सचेंजों में एग्री कमोडिटी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली। अनुकूल मौसम की स्थितियों के बाद फसल के उत्पादन क्षेत्र बढ़ने और बेहतर उत्पादन की उम्मीद जग गई। इससे खाद्य तेल, मसालों, गेहूं और ग्वारसीड समेत अधिकतर कमोडिटी के दाम में गिरावट देखने को मिली। प्रमुख एग्री कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट 1.3 फीसदी नीचे 2,487 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि सोया ऑयल और रेपमस्टर्ड बीजों की ट्रेडिंग में कोई उछाल नहीं आया। मसालों में देखें तो काली मिर्च का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट थोड़ी गिरावट के साथ 12,806 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जीरा 10,824 रुपए प्रति क्विंटल और हल्दी का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट 5,198 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण पश्चिम मॉनसून में बढ़ोतरी हुई है और यह पश्चिमी महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। मध्य और उत्तरी भारत के लिए भी स्थितियां अनुकूल हैं। मौसम विभाग की वेबसाइट पर कहा गया है, 'दक्षिण पश्चिम मॉनसून गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के शेष भागों और पूरे बिहार व झारखंड में पहुंच गया है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वी राजस्थान व पश्चिम उत्तर प्रदेश के भी कुछ भागों में पहुंच गया है।' मॉनसून हवाओं के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतें गिरने से ऑयलसीड और ऑयल फ्यूचर्स को एक्सचेंज पर समर्थन मिला। कच्चे तेल की कीमतों के 69 डॉलर के नीचे जाने के बाद मलेशियन डेरीवेटिव्स एक्सचेंज पर क्रूड पाम ऑयल फ्यूचर्स की कीमतें तीन फीसदी गिरकर 2,275 मलेशियाई रिंगिट प्रति टन पर पहुंच गई। स्थानीय बाजारों में मॉनसून प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में पहुंच गया, इससे कीमतों पर दबाव बढ़ा। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अजीत कुमार का कहना है कि मॉनसून के आगे बढ़ने और वैश्विक बाजार में कीमतों के गिरने के कारण आने वाले दिनों में भी सोयाबीन और ऑयल में कमजोरी जारी रह सकती है। एडमिसी कमोडिटीज के देवज्योति चटर्जी का मानना है कि ऑयलसीड में नुकसान एक सीमा तक ही रहेगा, क्योंकि कम बरसात के कारण उत्पादक राज्यों में बुआई करीब पंद्रह दिन पीछे चल रही है। मॉनसून में देरी के कारण पिछले सप्ताह तेजी देखने वाले ग्वारसीड और ग्वारगम फ्यूचर्स में मुनाफा वसूली हुई थी। मानसून बढ़ने से ग्वारसीड की फसल अच्छी होने की उम्मीद बंधी है। एनसीडीईएक्स पर ग्वारसीड का जुलाई कॉन्ट्रैक्ट गिरकर 1,821 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। निर्यात के मुकाबले आयात अधिक होने के कारण काली मिर्च की कीमतों पर दबाव रहा। रुपए की मजबूती के कारण भारतीय किस्म की काली मिर्च की कीमत 2,750 डॉलर प्रति टन है जबकि वियतनाम और ब्राजील की किस्मों की कीमत 2,400-2,500 डॉलर के बीच है। बुआई पूरी होने और उत्पादन क्षेत्र बढ़ने की खबरों से हल्दी में भी कमजोरी देखने को मिली। (ET Hindi)
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