नई दिल्ली June 24, 2009
सितंबर में समाप्त होने वाले चालू चीनी सत्र में भारत द्वारा कच्ची चीनी का आयात अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है।
इस दौरान कुल 25 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया गया। घरेलू स्तर पर चीनी के उत्पादन में 44 प्रतिशत गिरावट के साथ कुल उत्पादन 147 लाख टन रहा, जिसके चलते ऐसी हालत पैदा हुई।
इसके पहले 2004-05 सत्र में भारत ने कुल 213 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया था, उसके बाद 3 साल तक भारत में चीनी की आपूर्ति घरेलू उत्पादन से ही पूरी हो जाती थी। उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक आयात सौदे 20 लाख टन के आस पास हैं, जो पहले ही विभिन्न कंपनियों द्वारा किए जा चुके हैं।
इसके अलावा सितंबर तक 50,000 टन कच्ची चीनी के सौदे होने के आसार हैं। इस सत्र के दौरान अब तक कुल 18.5 लाख टन कच्ची चीनी भारत में आ चुकी है। मुंबई स्थित रेणुका शुगर्स ने बड़े पैमाने पर चीनी का आयात किया है। देश में सबसे ज्यादा, 4000 टन प्रतिदिन के हिसाब से चीनी रिफाइनिंग की क्षमता रेणुका शुगर्स की है और दिसंबर तक इसकी रिफाइनिंग क्षमता बढ़कर 6,000 टन हो जाएगी।
इस कंपनी ने अब तक 7,53,000 टन कच्ची चीनी के आयात के सौदे किए हैं। सिंभावली शुगर्स, जिसकी उत्तर प्रदेश में 3 चीनी मिले हैं, दूसरी सबसे बड़ी कच्ची चीनी आयातक कंपनी है। कंपनी ने कुल 1,12,000 टन कच्ची चीनी के आयात के सौदे किए हैं।
इसके अलावा अन्य आयातक मिलों में बलरामपुर चीनी (1,00,000 टन), बजाज हिंदुस्तान (91,000 टन). शक्ति शुगर्स (8,9000 टन) और धामपुर शुगर्स (61,000 टन) शामिल हैं। इसमें से ज्यादातर आयात ब्राजील से किया जा रहा है। आयात के आरंभिक सौदे 280-300 डॉलर प्रति टन के हिसाब से हो रहे हैं।
बहरहाल, भारत के आयात शुरू करने और उत्पादक देशों में कम उत्पादन के अनुमानों से चीनी की वैश्विक कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और हाल के सौदे औसतन 325-340 डॉलर प्रति टन के हिसाब से हो रहे हैं। ये कंपनियां सामान्य तौर पर चीनी की रिफाइनिंग कर रही हैं और उन्हें बाजार में बेच रही हैं।
इनमें से ज्यादातर आयात ओपन जनरल लाइसेंस के माध्यम से हो रहा है, जिसमें निर्यात की शर्त शामिल नहीं है। सरकार ने कच्ची चीनी के आयात को कर मुक्त कर दिया है, जिससे घरेलू बाजार में चीनी की कमी को पूरा किया जा सके और कीमतें नियंत्रित रह सकें। पिछले साल अक्टूबर महीने के बाद से चीनी की कीमतों में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और वर्तमान में चीनी की कीमत 28-29 रुपये प्रति किलो है।
घरेलू उपलब्धता की कमी में सुधार के साथ ही आयातित चीनी से मिलों के राजस्व और मुनाफे में भी बढ़ोतरी होगी। ऐसे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब चालू चीनी सत्र के दौरान पिछले सत्र की तुलना में मिलों ने बहुत कम पेराई की है।
सिंभावली शुगर्स के निदेशक (वित्त) संजय तप्रिया ने कहा, 'आयातित कच्ची चीनी से हमारी कंपनी को 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि आयातित चीनी पर प्रति किलो 3-4 रुपये का मुनाफा होगा।'
तप्रिया को उम्मीद है कि 2009-10 सत्र के दौरान चीनी का आयात नए रिकॉर्ड बनाएगा, क्योंकि घरेलू उत्पाद 190-200 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि कुल घरेलू खपत 220 लाख टन होती है।
कच्ची चीनी की प्रमुख आयातक चीनी मिलें
चीनी मिल कुल आयातरेणुका शुगर्स 7,53,000 टनसिंभावली शुगर्स 1,12,000 टनबलरामपुर चीनी 1,00,000 टनबजाज हिंदुस्तान 91,000 टनशक्ति शुगर्स 8,9000 टनधामपुर शुगर्स 61,000 टन
(BS Hindi)
25 जून 2009
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