23 जून 2009
मक्के का निर्यात बढ़ने पर भी एक तिहाई रहने की संभावना
चालू सीजन के दौरान कमजोर शुरूआत के बाद मक्के का निर्यात धीर-धीर बढ़ने लगी है। हालांकि इस बढ़त के बावजूद पिछले साल के मुकाबले निर्यात काफी कम रहने का अनुमान है। इस दौरान करीब दस लाख टन मक्के का निर्यात होने की उम्मीद है। पिछले साल करीब 30 लाख टन मक्के का निर्यात हुआ था। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर से इस साल मई के दौरान करीब पांच लाख टन मक्के का निर्यात हो चुका है। चालू सीजन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा मक्के के एमएसपी में इजाफा करने से वैश्विक बाजार में यह अमेरिकी मक्के से काफी महंगा बैठ रहा है। पिछले कुछ दिनों से घरलू बाजार में भाव बढ़ने से निर्यात पर और असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। पिछले सीजन के दौरान वैश्विक बाजार में अमेरिकी मक्के का भाव करीब 285 डॉलर प्रति टन था, जबकि भारतीय मक्का करीब 214 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध था। लिहाजा इसके निर्यात में तगड़ी बढ़त देखी गई। लेकिन इस साल हालात बिल्कुल उलट हैं। कारोबारियों का मानना है कि पिछले सीजन के अंत में मक्के के निर्यात पर लगे प्रतिबंध की वजह से निर्यातकों के रुझान पर भी असर पड़ा है। मौजूदा समय में वैश्विक बाजार में अमेरिकी मक्का करीब 146 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है, जबकि भारतीय मक्के का भाव 181 डॉलर प्रति टन है। यूएस ग्रेन काउंसिल के भारत में प्रतिनिधि अमित सचदेव के मुताबिक मौजूदा समय में दक्षिणी और पूर्वी एशियाई देशों को भारत सस्ते ढुलाई भाड़े के सहार मक्का बेच सकता है। बंगलुरू की निर्यातक कंपनी कानारा कांटिनेंटल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुधाकर हेग के मुताबिक भारत से बांग्लादेश और दक्षिणी-पूर्वी एशिया के दुसर देशों को जाने वाले मक्के का शिपमेंट चार्ज करीब 16 डॉलर प्रति टन है। वहीं इन देशों को अमेरिका से मक्का खरीदने पर ढुलाई करीब चार से पांच गुना महंगा बैठ रहा है। सचदेव के मुताबिक स्वाइन फ्लू का असर मक्के की घरलू और विदेशी मांग पर नहीं देखी जा रही है। पोल्ट्री फेडरशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जगबीर सिंह के मुताबिक इस साल भी पिछले साल की तरह घरलू स्तर पर करीब 1.45 करोड़ टन मक्के की खपत रहने का अनुमान है। वहीं उत्पादन का स्तर करीब 1.7 करोड़ टन रह सकता है। (Business Bhaskar)
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