नई दिल्ली June 25, 2009
सूखे के बादल घिरने के साथ ही सरकार भी अपनी मुहिम में जुट गई है। सरकार ने कम से कम दिलासों की बौछार तो शुरू कर ही दी है।
उसने कहा है कि बारिश में देर होने की वजह से खाद्यान्न उत्पादन में किसी तरह की कमी नहीं होने दी जाएगी। यदि दिक्कत आती भी है, तो सरकारी खजाने से उसकी भरपाई की जाएगी। इतना ही नहीं सरकार ने सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए और किसानों की मदद के लिए हेल्पलाइन शुरू करने का भी फैसला लिया है।
कृषि सचिव टी. नंद कुमार ने कहा है कि मानसून में देरी की वजह से इस साल खरीफ फसल के दौरान पिछले साल के मुकाबले खाद्यान्न उत्पादन (23 करोड़ टन) में कोई कमी नहीं आएगी। बिजाई के लिए अभी पर्याप्त समय बाकी है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है और वहां खरीफ फसलों की बिजाई अपने चरम पर है। महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात एवं बिहार में भी बारिश शुरू हो गयी है और वहां भी फसलों की बिजाई अपनी प्रगति पर है। खरीफ फसलों की बिजाई अमूमन 15 जून से शुरू होकर 15 जुलाई तक चलती है।
जुलाई के दौरान मानसून के सामान्य रहने का अनुमान है। लिहाजा बिजाई के रकबे में कमी आने के फिलहाल कोई आसार नहीं हैं। उत्तर पश्चिम भारत के लिए मौसम विभाग ने कम बारिश का अनुमान लगाया है, लेकिन इस क्षेत्र में आने वाले पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर प्रांतों की 80-90 फीसदी खेती योग्य जमीन के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि बारिश कम होने या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर खरीफ फसल की देखभाल के लिए सरकार के पास पर्याप्त पैसा है। (BS Hindi)
26 जून 2009
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