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05 अक्तूबर 2009

खेती के लिए बने दीर्घावधि योजना : फिक्की

नई दिल्ली October 04, 2009
इस साल सूखे की वजह से खरीफ फसलों के उत्पादन में 15-20 प्रतिशत की कमी आएगी और खाद्यान्न उत्पादन 1.6 करोड़ टन कम होगा।
फिक्की की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गिरावट से सरकार का स्टॉक कम हो सकता है, जिसका असर सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर पड़ने का अनुमान है। फिक्की ने सरकार को सलाह दी है कि खेती की मॉनसून पर निर्भरता कम करने के लिए चार स्तरीय दीर्घावधि योजना बनाई जानी चाहिए।
इसमें जल की उपलब्धता, अग्रिम अनुमान प्रणाली को अत्याधुनिक करना, शोध को बढ़ावा देना और फार्म खेती को बढ़ावा देना शामिल है। देश के 276 जिलों में सूखे की स्थिति के कारण कृषि उत्पादन में कमी के मद्देनजर भारत की अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृध्दि दर वर्ष 2009-10 में 5.2 से 5.8 फीसदी रह सकती है।
उद्योग मंडल फिक्की का जीडीपी के बारे में यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के 6 फीसदी और योजना आयोग के 6.3 फीसदी से कहीं कम है। बहरहाल, फिक्की का अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान से मेल खाता है, जिसने भारत की वृध्दि दर 5.4 फीसदी रहने की भविष्यवाणी की है।
फिक्की के मुताबिक वर्षा के सामान्य से 20 फीसदी तक कम रहने से देश के 626 जिलों में से 276 जिलों में सूखे की स्थिति है। इससे खरीफ का उत्पादन 15 फीसदी तक कम रहने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के 6.7 फीसदी के मुकाबले इस साल 5.2 से 5.8 फीसदी रह सकता है।
कृषि उत्पादन 2 से 4 फीसदी तक घट सकता है। अमेरिकी कृषि विभाग के हवाले से उद्योग मंडल ने कहा है कि भारत का चावल उत्पादन वर्ष 2009-10 में घटकर 8।2 करोड़ टन रह सकता है। पूर्व में चावल उत्पादन 8.8 करोड़ टन रहने का अनुमान था। वर्ष 2008-09 में चावल उत्पादन 9.92 करोड़ टन था। (बीएस हिन्दी)

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