हैदराबाद October 12, 2009
इस साल फूलों के निर्यात में 20 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।
भारतीय फूल और सजावटी पौधा विकास एसोसिएशन (आईफ्लोरा) के अध्यक्ष जफर नकवी ने कहा कि मंदी की वजह से खरीदार अपनी जेब हल्की करने से परहेज कर रहे हैं, जिस वजह से मौजूदा साल में फूलों के निर्यात में कमी आ सकती है।
नकवी ने कहा, 'देश में फूलों के उत्पादन कार्य में करीब 20,000 पौधशालाएं लगी हुई हैं जिसमें ऑर्किड्स जैसे ऊंची कीमतों वाले उत्पाद भी शामिल हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इस साल निर्यात में कमी होने जा रही है, क्योंकि किसान फूलों के कारोबार की महत्ता को समझ नहीं पा रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत धीरे-धीरे फू ल और पौधे का शुध्द आयातक बनने की दिशा में अग्रसर हो चुका है।
भारत से होने वाला पुष्प निर्यात पिछले साल 750 करोड रुपये के स्तर को पार कर गया था और इससे पहले के साल की अपेक्षा 65 फीसदी की तेजी आई थी। विश्व में 17 अरब डॉलर के फू लों के कारोबार में इस समय भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.25 फीसदी है।
नकवी ने कहा कि देश में कट फ्लावर सेगमेंट में साल-दर-साल के आधार पर 3 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है जबकि सजावटी पौधों की विकास दर करीब 5.5 फीसदी के आस पास रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
नकवी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि फूल और इससे जुड़े उत्पाद में 70 फीसदी हिस्सेदारी के साथ हॉलेंड इस समय पहले पायदान पर है, लेकिन धीरे-धीरे इसका एकाधिकार समाप्त हो रहा है क्योंकि नई पीढ़ी इस कारोबार में उतरने से परहेज कर रहीं हैं।
इस वजह से इंडोनेशिया, कोलंबिया, इस्त्रायल और श्रीलंका जैसे देश तेजी से इस कारोबार में आगे आ रहे हैं। बकौल नकवी, भारत के लिए वैश्विक स्तर पर इस कारोबार में हिस्सदोरी बढाने का यह सही समय है।
नकवी ने साथ में यह भी कहा कि फूलों के निर्यात से जुडे आवश्यक पदार्थों के आयात पर सरकार को उत्पाद शुल्क समाप्त करना चाहिए और फूलों के निर्यात को बढावा देने के लिए हवाईजहाज से माल ढुलाई को और सस्ता करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
हैदराबाद में चौथे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य और बागवानी प्रदर्शनी 2009 का आयोजन हाल ही में हुआ था, जिसमें अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, दुबई सहित 15 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। (बीएस हिन्दी)
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