मुंबई October 12, 2009
तेल विपणन कंपनियों के लिए सरकार बॉयोडीजल का खरीद मूल्य 34 रुपये प्रति लीटर निर्धारित कर सकती है। सरकार के प्रतिनिधियों और कारोबारियों के बीच हाल में हुई बैठक में बॉयोडीजल कंपनियां 34 रुपये लीटर की दर से बॉयोडीजल की बिक्री पर सहमत हो गई हैं।
बॉयोडीजल एसोसिएशन आफ इंडिया से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'ज्यादातर बॉयोडीजल संयंत्र अपनी क्षमता का 5 प्रतिशत ही काम कर रहे हैं, या बेकार पड़े हैं। इस कदम से संयंत्रों को क्षमता मुताबिक चलाने में मदद मिलेगी। उद्योग जगत के कारोबारियों ने 36 रुपये लीटर दाम लगाए थे, लेकिन अंत में हम 34 रुपये लीटर पर सहमत हो गए।'
भारत की बॉयो डीजल प्रसंस्करण की अनुमानित क्षमता 2 लाख टन प्रति वर्ष है, लेकिन कई साल से ज्यादातर बॉयो डीजल इकाइयां नहीं चल रही हैं। बॉयो डीजल उत्पादन कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, 'वर्तमान में कच्चे तेल की जो कीमतें हैं, यह कीमतें काम करने के अनुकूल हैं। हम सरकार से कह रहे हैं कि कच्चे माल की कीमतें तैयार माल की दरों के मुताबिक नियत कर दे, जैसा कि अन्य देशों में होता है।'
एक विश्लेषक का कहना है कि भारत में बॉयो डीजल का वाणिज्यिक उत्पादन और विपणन बहुत कम है। इसकी प्रमुख वजह है कि यहां जैट्रोफा के बीज और अन्य अखाद्य तेलों के स्टॉक की कमी है। जैट्रोफा के पौधे से बड़े पैमाने पर बीज तैयार किया जा सकता है और इसकी खेती उन इलाकों में हो सकती है, जहां अन्य फसलों की उपज नहीं होती है।
बॉयो डीजल का उत्पादन खाद्य तेलों से भी किया जा सकता है, लेकिन भारत में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना संभव नहीं है। भारत में ज्यादातर उत्पादक मिले जुले कच्चे माल का प्रयोग करते हैं, जिसमें अखाद्य तेल, अखाद्य तेल का कचरा, पशुओं और मछलियों से प्राप्त बसा आदि का प्रयोग करते हैं।
इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के एक अधिकारी ने कहा, 'भारत में जैट्रोफा की खेती के लिए करीब 4 करोड़ हेक्टेयर जमीन है। अगर खराब पड़ी जमीन के एक चौथाई हिस्से पर जैट्रोफा की खेती की जाए 2012 तक डीजल की कुल खपत का 10 प्रतिशत हिस्सा बॉयोडीजल से पूरा किया जा सकता है।'
भारत में तेल की जरूरतों का 70 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है। अगर डीजल में बॉयोडीजल की मिलावट शुरू हो जाए, जो इससे तेल आयात बिल में भारी कटौती की जा सकती है। (बीएस हिन्दी)
12 अक्तूबर 2009
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