02 अक्तूबर 2009
दिसंबर तक उड़द के भाव में जोरदार तेजी आने की संभावना
चालू खरीफ सीजन में प्रतिकूल मौसम से उड़द की पैदावार में भारी गिरावट की आशंका है। जून-जुलाई और अगस्त के मध्य तक देश के अधिकांश हिस्सों में सूखे के हालात बनने के कारण उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इसीलिए नई फसल की आवक के समय ही भाव में तेजी बनी हुई है। पिछले पंद्रह दिनों में घरेलू मंडियों में उड़द की कीमतों में करीब 200-400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। नवंबर-दिसंबर महीने तक उड़द की मौजूदा कीमतों में भारी तेजी की संभावना है। ग्लोबल दाल इंडस्ट्रीज के पार्टनर चंद्रशेखर एस। नादर ने बताया कि जून से अगस्त के मध्य तक बारिश की कमी के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में आवक काफी कम है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी आवक सामान्य से कम है। साथ ही पैदावार में कमी की संभावना से मिलों की खरीद बढ़ने से भाव तेज होने शुरू हो गए हैं। महाराष्ट्र की जलगांव मंडी में पिछले पंद्रह दिनों में इसकी कीमतों में करीब 400 रुपये की तेजी आकर भाव 4000 से 4450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। 16 सितंबर को इसके भाव 3600- 4150 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी तरह से उत्तर प्रदेश की कानपुर मंडी में भाव 3300 रुपये से बढ़कर 3450 रुपये और इंदौर में 3750 रुपये से बढ़कर भाव 4200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दलहन आयातक संतोष उपाध्याय ने बताया कि आयातित उड़द की कीमतों में पिछले पंद्रह दिनों में 200 रुपये की तेजी आकर भाव 4000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। म्यांमार में उड़द की नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी। ऐसे में नवंबर-दिसंबर तक उड़द की मौजूदा कीमतों में 20-25 फीसदी तेजी आने का अनुमान है।कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में उड़द की बुवाई 23.85 लाख हैक्टेयर में हुई है जो कि पिछले साल के 22.17 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। दिल्ली के दलहन व्यापारी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई थी लेकिन बुवाई के बाद फसल को पानी न मिलने से भारी नुकसान हुआ है। इसीलिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में उड़द की आवक सीमित है। केंद्र सरकार द्वारा जारी चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2008-09 में 11.1 लाख टन उड़द का उत्पादन हुआ था। इसमें 8.3 लाख टन खरीफ और 2.8 लाख टन रबी सीजन में उड़द पैदा हुई। दुर्गा प्रसाद ने बताया कि अनुकूल मौसम से रबी में बुवाई बढ़ने की संभावना है। रबी सीजन में उड़द का सबसे ज्यादा उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है।rana@businessbhaskar.net (बिज़नस भास्कर)
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