ब्रेड, बिस्किट, आटा, मैदा जैसे आइटम महंगे हो सकते हैं। क्योंकि इन्हें बनाने वाली कंपनियों के पास गेहूं का स्टॉक खत्म हो रहा है। अब ये कंपनियां खुले बाजार से ऊंची कीमत पर गेहूं खरीदने की तैयारी में है।
गेहूं की कीमतों को काबू में रखने की सरकारी कोशिशें उल्टी पड़ती दिख रही हैं। सरकार ने अपना स्टॉक तो जरूरत से ज्यादा भर लिया है, लेकिन ब्रेड, बिस्किट, आटा, मैदा जैसे आइटम बनाने वाली कंपनियां गेहूं को तरस रही हैं। मॉडर्न फ्लोर मिल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर, रतन गुप्ता के मुताबिक अभी हमारे पास हार्डली 4-5 दिन का स्टॉक है। ओपन मार्केट में गेहूं है ही नहीं।
दरअसल इस साल सरकार ने ऊंचे भाव पर गेहूं की खरीद कर ली। और, ब्रेड, बिस्किट बनाने वाली कंपनियों पर 15 दिन की स्टॉक लिमिट भी लगा दी। इस समय सीजन की शुरुआत में कंपनियां जरूरी स्टॉक खरीद नहीं सकीं। और, अब जरूरत पड़ी तो, खुले बाजार में गेहूं महंगा होना तय माना जा रहा है। और इसका असर आटा, मैदा, ब्रेड की कीमतों पर भी पड़ेगा। बागरीज इंडिया लिमिटेड के CMD, श्याम बागरी के मुताबिक रॉ मैटेरियल कॉस्ट बढ़ गई है। क्येंकि गेहूं मुख्य रॉ मैटेरियल है। अगर सरकार ने समय रहते कदम उठा लिया तो हमारे जो प्रोडक्ट है आटा, मैदा सूजी, इसकी कीमतें कम रहेंगी।
कीमतों में संभावित बढ़ोतरी रोकने के लिए सरकार ने FCI के जरिये बड़े खरीदारों को सीधे गेहूं बेचने का फैसला तो ले चुकी है। लेकिन गेहूं बेचने के तरीके पर अभी भी असमंजस है।
यही वजह है कि हालात का अंदाजा लगते ही पिछले एक हफ्ते में गेहूं 50 से 70 रुपए क्विंटल महंगा हो चुका है। अगर यही आलम रहा तो आप महंगा ब्रेड, बिस्किट जैसे आइटम खाने को तैयार रहिए। (आवाज)
07 अक्तूबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें