मुंबई October 05, 2009
भारी बारिश की वजह से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में आई बाढ़ से जहां हजारों हेक्टेयर फसल खराब हो गई है वहीं देश के दूसरे हिस्सों में हल्की बरसात होने से रबी फसल की बुआई अच्छी होने की उम्मीद बढ़ गई है।
भारी बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान लाल मिर्च, हल्दी, अरंडी, मूंग, तुअर दाल, बाजरा, तिल और सोयाबीन की फसल को हो रहा है। जबकि मध्य एवं उत्तर भारत में बारिश की फुहारों ने सरसों, चना और गेहूं की बुआई की रफ्तार पकड़ने का रास्ता दिखा दिया है।
देश में इस बार अच्छी बरसात न होने के कारण खरीफ की फसल की बुआई उम्मीद से काफी कम हुई है। जिन फसलों की बुआई की भी गई है कम बारिश के चलते उनका उत्पादन कम होने की बात कही जा रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार 23 फीसदी मानसून कम था जो 1972 से अब तक का सबसे कमजोर मानसून बताया जा रहा है।
बारिश का सीजन लगभग खत्म होने के बाद पिछले कुछ दिनों से शुरू हुई बारिश ने सूखे की मार से किसी तरह अपनी फसल बचाने वाले किसानों की फसलों डुबो दिया है। कृषि मामलों के जानकारों का कहना है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में करीबन 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो सकता है हालांकि अभी नुकसान का आकलन करना जल्दबाजी होगी।
शेयरखान ब्रोकिंग फर्म के कमोडिटी हेड मेहुल अग्रवाल कहते है कि सबसे ज्यादा नुकसान उन फसलों का है जिनकी कटाई की गई है या तुरंत बुआई हुई है। मेहुल कहते हैं कि बारिश तो फसलों के लिए अच्छी है लेकिन बाढ़ ने किसानों का खेल बिगाड़ दिया है। इस बारिश से लगभग दो हजार हेक्टेयर लाल मिर्च की फसल खराब हुई है।
लाल मिर्च और हल्दी की ज्यादात्तर फसलों की बुआई हो गई थी लेकिन बाढ़ के कारण फिर से बुआई करनी पड़ेगी जो किसानों के लिए भारी पड़ने वाला है। मूंग और तुअर की तैयार फसल में भी बारिश का बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा अरंडी की फसल भी बारिश की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
बारिश से जहां एक ओर नुकसान है वही इसका फायदा भी है। ऐंजल ब्रोकिंग फर्म के कमोडिटी हेड अमर सिंह कहते हैं कि नुकसान से ज्यादा फायदा होने वाला है। ये बारिश खरीफ की फसल में हुए नुकसान की भरपाई रबी की फसल में करा देगी।
क्योंकि उत्तर भारत में रबी की फसल की बुआई शुरू होनी है, ऐसे में रबी की बुवाई के लिए खेत तैयार करना आसान हो जाएंगा क्योंकि जुताई के लिए खेतों में पानी (पालेवा) नहीं देना पड़ेगा। इससे सरसों, चना और गेहूं की बुआई ज्यादा क्षेत्र में हो सकेगी।
गौरतलब है कि इस बार रबी सीजन में उत्पादन लक्ष्य सरकार पिछले साल की अपेक्षा 80 लाख टन ज्यादा रखा है। कृषि मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 30 सितंबर तक खरीफ फसल की कुल बुआई 944 लाख हेक्टेयर में हुई थी जो पिछले साल से 5.5 फीसदी कम थी।
जानकारों की मानी जाए तो बुआई 5.5 फीसदी कम हुई है जबकि उत्पादन लगभग 20 फीसदी कम होगा क्योंकि फसल कमजोर थी। कृषि मंत्रालय खरीफ फसल की भरपाई करने के लिए रबी सीजन का उत्पादन का लक्ष्य पिछले साल के 1160 लाख टन से इस बार 80 लाख टन अधिक रखा गया है।
अग्रवाल की मानी जाए तो रबी सीजन की शुरुआत हो रही है ऐसे में रबी सीजन की जिन फसलों का नुकसान भी हुआ है उनकी दोबारा बुआई हो सकती है और खेतों में नमी हो जाने के कारण फसल अच्छी होगी जिससे सरकार को अपना लक्ष्य को प्राप्त करने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए।
गेहूं, सरसों और चने की बुआई पकड़ेगी रफ्तार लाल मिर्च, हल्दी, अरंडी, मूंग, अरहर दाल, बाजरा तिल और सोयाबीन की फसल को नुकसानलाल मिर्च और हल्दी की फसलों की करनी होगी फिर से बुआईउत्तर भारत में रबी की बुआई शुरू होनी है, वहां जुताई के ळिए खेतों को नहीं देना होगा पानीसरकार का लक्ष्य होगा पूरा (बीएस हिन्दी)
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