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07 अक्तूबर 2009

महाराष्ट्र में अब देर से शुरू होगी गन्ने की पेराई

मुंबई October 05, 2009
महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई का काम अगले एक महीने के लिए टाल दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में वित्त वर्ष 2009-10 के लिए गन्ना पेराई मध्य सितंबर और 1 अक्टूबर से शुरू होने वाला था, लेकिन गन्ने की बुआई के समय पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से फसल पूरी तरह तैयार नहीं हुई है, जिसे देखते हुए पेराई एक महीने के लिए टालने का फैसला किया गया है।
दूसरी तरफ गन्ने पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की समिति ने सभी मिलों को दीवाली के आसपास ही ब्वॉयलर को शुरू करने का निर्देश दिया था, ताकि ब्वायल के गर्म होने के तीन सप्ताह बाद पेराई का काम शुरू किया जा सके। हालांकि, बहुराज्यीय मिल या बोर्डरिंग यूनिट मंत्रियों की समिति से अनुमति लेकर पेराई का कार्य शुरू कर सकते हैं।
गन्ने की पेराई का काम एक महीने के लिए टालने का निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने आगामी पर्व-त्योहारों को देखते हुए सभी मिलों को गन्ने की पेराई समय से एक महीने पहले शुरू करने का निर्देश दिया था। चूंकि, उस समय इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि सितंबर में चीनी की कीमतें 35 रुपये प्रति किलो के स्तर से भी अधिक हो सकती है।
हालांकि, बाजार में चीनी की आपूर्ति को सामान्य बनाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा स्टॉकिस्टों और जमाखोरों से 120 रुपये मूल्य की चीनी जब्त किए जाने के बाद कीमतों का उबाल कम हुआ और यह घटकर 28-29 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गया।
औद्योगिक जगत के सूत्रों के अनुसार अब चीनी मिलें फसल के पूरी तैयार हो जाने का इंतजार कर रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि एक महीने के बाद पेराई किए जाने से उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी।
पुणे सुगर मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय गुजराती ने कहा कि चूंकि, कम उत्पादकता मिलों के लिहाज से भी बेहतर नहीं होता, इसीलिए सरकार के गन्ना पेराई की अवधि 1 महीने और आगे बढ़ाने से चीनी मिलों को काफी राहत मिली है। राज्य में इस बार गन्ने की पैदावार कम रहने का अनुमान है, इस लिहाज से भी गन्ने की पेराई समय से पहले शुरू करना तर्कसंगत है।
पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन घटकर करीब आधा यानी 147 लाख टन रह गया था जबकि चीनी की खपत 230 लाख टन है। पिछले साल के 80-90 लाख टन के भंडार की वजह से देश में घरेलू मांग की पूर्ति करने में सक्षम है।
हालांकि, वर्ष 2009-10 में देश में चीनी उत्पादन 175-180 लाख टन रहने का अनुमान है। सरकार के चीनी के आयापर पर से शुल्क समाप्त करने से चीनी मिल 35 लाख टन कच्ची चीनी का आयात कर सकते हैं और उसे परिष्कृत कर घरेलू बाजार में बेच सकते हैं। (बीएस हिन्दी)

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