मुंबई October 12, 2009
खरीफ उड़द दाल की फसल को अनुमानित तौर पर हुए 15 फीसदी नुकसान की आशंकाओं के बाद विश्लेषकों में भविष्य में दाल की कीमतों के रुख को लेकर मतभेद हैं।
दाल आयातक एसोसिएशन (पीआईए) के अध्यक्ष के सी भरतिया के अनुसार अरहर की कीमतें 80-82 प्रति किलोग्राम के दायरे में रह सकती हैं, जबकि उड़द 54-55 रुपये प्रति किलो और चना 27-28 रुपये प्रति किलो रहा सकती हैं।
हालांकि, भरतिया ने इस बात को स्वीकार किया है कि हाल में आई बाढ़ से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उड़द की फसलों को नुकसान पहुंचेगा। लेकिन इससे कीमतों में किसी तरह के उछाल आने की संभावना नहीं है, क्योंकि खरीफ में कम पैदावार की भरपाई रबी में उत्पादन में होने वाले बढ़ोतरी से पूरी की जा सकेगी।
उल्लेखनीय है प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में अचानक आई बाढ़ से मंडी में नई फसल के पहुंचने में देरी की आंशकाओं के बीच दालों की कीमतों में काफी तेजी आई है। पिछले साल उत्पादन कम रहने और वैश्विक भंडार के कम पड़ने से अरहर और उड़द की कीमतें आसमान छूने लगी और इस साल सितंबर में यह क्रमश: 100 रुपये प्रति किलो और 70-75 प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गईं।
देश के कुल उत्पादन में खरीफ सत्र में होने वाली दलहन की पैदावार का योगदान 30 फीसदी होता है। खरीफ सत्र में 65 फीसदी उड़द का जबकि रबी सत्र में 35 फीसदी पैदावर होती है। हालांकि, जुलाई और अगस्त में बारिश के जोर पकड़ने से दलहन के रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 17 सितंबर तक 97.75 लाख हेक्टेयर के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी तारीख तक 92.80 लाख हेक्टेयर था।
इस समय खरीफ दलहन की फसल कटाई के विभिन्न चरणों में हैं और अगर खेतों में और अगले 48 घंटे तक पानी जमा रहा तो खरीफ दलहन को नुक सान पहुंच सकता है। मुंबई स्थित दाल आयातक यू गोयनका संस के निदेशक एसपी गोयनका का कहना है कि म्यांमार में इस समय 1.5 लाख टन अरहर दाल का भंडार है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़ोतरी का फायदा उठाते हुए भारतीय आयातक म्यांमार से अरहर दाल का आयात कर सकते हैं। चूकि, नई फसल के भी कुछ महीनों में बाजार में पहुंच जाने की उम्मीद है, लिहाजा म्यांमार के कारोबारी अपने पिछले साल के दाल भंडार को जल्द से जल्द हटाना चाहते हैं।
इस साल जुलाई में सरकार ने वर्ष 12008-09 के मुकाबले दलहन के उत्पादन में 25 फीसदी की कमी का अनुमान लगाया था और अरहर और उड़द के उत्पादन घटकर क्रमश: 23।1 लाख टन और 11.1 लाख टन रहने की बात की बात कही थी। एनसीडीईएक्स की रिपोर्ट के अनुसार दालों की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता ही जा रहा है जिससे इनकी कीमतों में बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता है। (बीएस हिन्दी)
12 अक्तूबर 2009
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