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10 अक्तूबर 2009

जीएम सोया पर लगी रोक से यूरोप में उद्योग मुश्किल में

यूरोपियन यूनियन में जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) सोयाबीन के आयात पर लगे प्रतिबंध में यदि छूट नहीं दी गई तो उसे सोयाबीन की पर्याप्त सप्लाई मिलना मुश्किल होगा। पारंपरिक रूप से यूरोपियन यूनियन दक्षिणी अमेरिकी देशों से सोयाबीन आयात करता है लेकिन वहां फसल कमजोर होने से उत्तरी अमेरिकी देशों से सोयाबीन आयात करनी होगी। उत्तरी अमेरिकी देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात किया जा सकता है लेकिन वहां पैदा होने वाली जीएम सोयाबीन मौजूदा नियमों के चलते आयात नहीं हो सकती है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि यूरोपीय आयोग मौजूदा हालात में नियमों में छूट देकर समस्या का समाधान निकालेगा। कमोडिटी ट्रेडिंग फर्म अल्फ्रेड सी। टोफर के मुख्य अर्थशास्त्री क्लॉज शूमाकर ने कहा कि अमेरिकी सोया पर प्रतिबंध से इसके भावों में और तेजी आएगी और इसके भाव 30 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। आने वाले छह महीने काफी कठिन हैं और अमेरिकी सोया आयात पर प्रतिबंध जारी रहा तो इसका कीमतों पर भारी असर पड़ेगा। उद्योग जगत से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि कारोबार में आ रहा यह व्यवधान समय रहते दूर कर लिया जाएगा। नए सीजन में अमेरिका सोयाबीन के रिकॉर्ड उत्पादन से भी राहत मिलने की उम्मीद है। लेकिन कारोबारियों का कहना है कि नियमों को लेकर बाजार में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।ईयू ने जीएम सोया के किसी भी आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। यूरोपियन यूनियन पशु आहार में उपयोग की जाने वाली सोया का आयात परंपरागत रूप से दक्षिणी अमेरिका से करता है। अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक पिछले अगस्त में समाप्त हुए मार्केटिंग वर्ष में यूरोप में 96 फीसदी सोयाबीन का आयात दक्षिण अमेरिका से किया गया। इस वर्ष दक्षिण अमेरिका में सोया का उत्पादन काफी घटा है क्योंकि अर्ज्ेटीना में सूखे की स्थिति के कारण सोयाबीन उत्पादन में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा चीन में भी सोयाबीन की मांग बढ़ रही है। इसकी भरपाई करने के लिए यूरोपियन यूनियन को अगले छह महीनों में उत्तरी अमेरिकी देशों से सोया का दोगुना आयात करना होगा। मार्च में शुरू होने वाले दक्षिण अफ्रीका के नए निर्यात सीजन तक करीब 75 लाख टन सोयाबीन का आयात ईयू को करना होगा। रोटरडम एक्सचेंज में अमेरिकी सोया के भाव जनवरी में 413 डॉलर प्रति टन थे, लेकिन दक्षिण अमेरिका में मौसम प्रतिकूल रहने से जून में इसके भाव 425 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गए। (बिज़नस भास्कर)

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