नई दिल्ली : गन्ने की बेहतर उपज के कारण इस सीजन में भारत का चीनी उत्पादन 7 फीसदी बढ़कर 1।58 करोड़ टन के स्तर तक पहुंच सकता है। यह बात यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) ने अपनी एक रिपोर्ट में कही है। चीनी का सीजन अक्टूबर से शुरू होकर सितंबर में खत्म होता है। ब्राजील के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सीजन (अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009) में भारत का चीनी उत्पादन 1.47 करोड़ टन से अधिक हो सकता है। भारत ने 2007-08 सीजन में रिकॉर्ड 2.64 टन चीनी का उत्पादन किया था।
यूएसडीए ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है, 'वर्ष 2009-10 में पिछले वर्ष के मुकाबले गन्ने की उपज बेहतर रहने की उम्मीद है।' भारत के दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। महाराष्ट्र में जहां चीनी उत्पादन 48 लाख टन रह सकता है। वहीं उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन बढ़कर 43 लाख टन के स्तर तक पहुंच सकता है। यूएसडीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में भी चीनी उत्पादन बढ़कर 18 लाख टन तक जा सकता है। पिछले सीजन में यहां चीनी का कुल उत्पादन 15।5 लाख टन रहा था। हालांकि, कर्नाटक में चीनी उत्पादन के बारे में यूएसडीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां उत्पादन 1 लाख टन घटकर 16 लाख टन रहेगा। गुजरात में चीनी उत्पादन 2 लाख टन बढ़कर 12 लाख टन के स्तर पर पहुंचने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी मिलों को गन्ने की सप्लाई में गुड़ निर्माताओं की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कहा गया है, 'गुड़ की असामान्य रूप से बढ़ी हुई कीमतों के कारण चालू सत्र की शुरुआत से चीनी मिलों की गन्ना आपूर्ति पर भारी दबाव रहेगा।' यूएसडीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा सीजन में मानसून की देरी और सूखे जैसी स्थिति होने के कारण गन्ने का पैदावार क्षेत्र घटकर 42.50 लाख हेक्टेयर रह गया। पिछले सीजन में गन्ने का पैदावार क्षेत्र 43.79 लाख हेक्टेयर था। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि पैदावार क्षेत्र घटने के कारण घरेलू बाजार में मांग-आपूर्ति का संतुलन प्रभावित हुआ। (ई टी हिन्दी)
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