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03 अक्तूबर 2009

नई आवक से तिल के दाम 10प्रतिशत लुढ़के

तिल की नई सप्लाई शुरू होने के कारण इसके दाम घटने लगे हैं। पिछले दो सप्ताह के दौरान इसके दाम दस फीसदी तक घट चुके हैं। कारोबारियों के अनुसार तिल की नई फसल बेहतर है। इस वजह से आगे इसके मूल्यों में और गिरावट आ सकती हैं। वहीं सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 100 रुपये बढ़ाकर 2850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।गुजरात में श्याम इंडस्ट्री के घनश्याम धानुका ने बिजनेस भास्कर को बताया कि तिल की नई सप्लाई की वजह से इसके दाम 5500 रुपये से घटकर 5000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस बार तिल का उत्पादन बेहतर होने की संभावना से मूल्य में गिरावट आई है। साथ ही नई आवक होने के कारण तिल की कीमतों में गिरावट को बल मिल रहा है। धानुका के अनुसार बीते दिनों में हुई बारिश से तिल की फसल को काफी फायदा हुआ है। राजस्थान की मंडियों में इसके दाम इस दौरान 5000- 5200 रुपये से घटकर 4800-4900 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। कारोबारियों के अनुसार आगे इसके मूल्यों में और गिरावट आ सकती है।तिल कारोबारी हंसराज का कहना है कि 10-12 दिनों के बाद तिल की सप्लाई अधिक होने लगेगी। ऐसे में इसके मूल्यों में और गिरावट आ सकती है। हालांकि आगे तिल की घरेलू और निर्यात मांग में इजाफा होने की संभावना है। देश से टर्की, चीन, यूरोपीय देश सहित आदि देशों को तिल का निर्यात किया जाता है। इन दिनों तिल का निर्यात भाव 1150 डॉलर प्रति टन चल रहा है। चालू खरीफ सीजन के दौरान तिल की बुवाई पिछले खरीफ सीजन से ज्यादा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 में 14.66 लाख हैक्टेयर में तिल की बुवाई हुई है, पिछले साल यह आंकड़ा 14.59 लाख हैक्टेयर पर था। चालू वर्ष में प्रमुख तिल उत्पादक राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसका रकबा बढ़ा है जबकि गुजरात में इसके रकबे में हल्की कमी आई है। राजस्थान में इस बार तिल की बुवाई 4.15 लाख, मध्य प्रदेश में 2.28 लाख, उत्तर प्रदेश में 1.88 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि गुजरात यह आंकड़ा 2.15 लाख हैक्टेयर पर है। वर्ष 2008-09 के दौरान 7.33 लाख टन तिल का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2007-08 के उत्पादन 7.57 लाख टन से कम था।sg.ramveer@businessbhaskar.net

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