02 अक्तूबर 2009
एमपी में काबुली चना 10 फीसदी मजबूत
मध्य प्रदेश में काबुली (डॉलर) चने की निर्यात मांग जोरों पर निकल रही है। मजबूत मांग और कमजोर स्टॉक के चलते इसमें तेजी का रुक बना हुआ है। पिछले पंद्रह दिनों में इसके दाम दस फीसदी तक बढ़ गए है। इंदौर के बाजार में पंद्रह दिनों पहले काबुली चने का दाम भ्ब्क्क् रुपये प्रति क्विंटल था जो फिलहाल बढ़कर भ्8क्क् रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। प्रदेश की कुछ मंडियों में भाव इससे भी ऊपर निकल गए हैं। इसके दामों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह निर्यात मांग बढ़ने को माना जा रहा है। इंदौर स्थित काबुली चने के निर्यातक राजकुमार पंडया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल निर्यात मांग ज्यादा है। दूसरी ओर इस बार पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कमी आई है। जिसके चलते कीमतों में तेजी बनी हुई है। पिछले साल देश में तीन लाख टन काबुली चने का उत्पादन हुआ था जो इस साल कम होकर फ्।म्क् लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल ख्.फ्म् लाख टन काबुली चने का निर्यात हुआ था। काबुली चने का ज्यादा निर्यात खाड़ी देशों को होता है। इसके अलावा काबुली चना यूरोप और अफ्रीकी देशो में भी निर्यात होता है। इस साल अच्छे दामों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल इसके बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हो सकती है। देश में काबुली चने का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में होता है। जिसमें से डॉलर चने का करीब 8क् फीसदी उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। उत्पादन में कमी के अलावा इस साल पिछला बकाया भी नहीं है। जबकि पिछली बार देश में डॉलर चने का कैरी फारवर्ड स्टॉक म्क्,क्क्क् टन था। उत्पादन में कमी और कमजोर स्टॉक को देखते हुए स्टॉकिस्टों की भारी खरीद हो रही है। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में मंडियों में नई फसल के काबुली चने की आवक में भी कमी आई है। दो हफ्ते पहले इंदौर की मंडियों में करीब म्क्क्क् बोरी चने की आवक हो रही थी जो फिलहाल कम होकर ख्क्क्क्-ख्म्क्क् बोरियों तक सिमट गई है। काबुली चना मुख्य रूप से रबी की फसल में बोई जाती है। इसके स्टॉक से सप्लाई हो रही है। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें