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02 अक्तूबर 2009

तीन राज्यों में खरीफ पैदावार पर पड़ी सूखे की मार

जयपुर /चंडीगढ़/लुधियाना। इस साल मानसूनी बारिश कम होने के कारण देशभर में बुवाई रकबा घटने के बाद अब पैदावार गिरने की आशंका और बढ़ गई है। केंद्र सरकार खरीफ सीजन के उत्पादन के आरंभिक अनुमानित आंकड़े जारी करने में देरी कर रही है, लेकिन बिजनेस भास्कर ने विभिन्न राज्यों से वहां की पैदावार का जायजा लिया है। केंद्र सरकार को राज्यों के कृषि विभागों द्वारा भेजे गए आरंभिक अनुमानित आंकड़े भयावह स्थिति पेश कर रहे हैं।
राजस्थान में दलहन, मोटे अनाज, ग्वार, और कपास की पैदावार 75 फीसदी तक घटने की आशंका है। लेकिन सितंबर के दौरान हुई बारिश से सोयाबीन की पैदावार पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर रहने की आशा है। पंजाब में चावल का उत्पादन 2.त्तम् लाख टन घटने की संभावना जताई गई है। पिछले साल यहां 1ख्क् लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था जो इस साल घटकर 1क्त्त.फ्म् लाख टन रहने के आसार हैं। हरियाणा में खरीफ फसलों का उत्पादन फ्भ् हजार टन घटने की आशंका है। इसमंे दलहन का उत्पादन 7000 टन और तिलहन का उत्पादन 4000 टन घटने की संभावना है। हरियाणा में इस साल धान (खासकर बासमती का) का रकबा पिछले साल के मुकाबले 1.फ्क् हेक्टेयर घटा है, लेकिन चावल उत्पादन एक लाख टन बढ़ने का अनुमान है।
राजस्थान के अतिरिक्त कृषि निदेशक हरबंस यादव ने बताया कि गिरदावरी के आधार पर किए गए आकलन के मुताबिक बारिश कम होने से खरीफ फसलों को भारी क्षति पहुंची है। बुवाई के बाद लंबे समय तक बारिश न होने के कारण बाजरा, दलहन, ग्वार और कपास की 75 फीसदी से ज्यादा फसल सूख गई। राज्य में बाजरा का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले 42.83 लाख टन से घटकर मात्र 8.61 लाख टन रह जाने का अनुमान है। राजस्थान में मूंग की पैदावार 3.73 लाख टन से घटकर महज 72 हजार टन रहने की संभावना है। मोठ की पैदावार भी 85 फीसदी घटकर 50 हजार, उड़द 55 फीसदी घटकर 19.3 हजार और अरहर की पैदावार साठ फीसदी घटकर मात्र 6.6 हजार टन रह जाने की आशंका है। देश में कुल ग्वार उत्पादन में राजस्थान की भागीदारी साठ फीसदी से ज्यादा रहती है। ग्वार उत्पादन 12.61 लाख टन से घटकर 2.41 लाख टन रहने का अनुमान है।
कपास उत्पादन भी लगभग 55 फीसदी घटकर 3.13 लाख गांठ रह जाने की आशंका है। मूंगफली उत्पादन 5.37 लाख टन से गिरकर 1.67 लाख टन रहने की आशंका है। तिल और अरंडी की पैदावार में पचास फीसदी तथा ग्वार व मक्का का उत्पादन पचास से साठ फीसदी घटने का अनुमान लगाया गया है। इसके विपरीत सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। हरियाणा के कृषि विभाग ने विगत 23 सिंतबर को केंद्र सरकार को सांैपी रिपोर्ट में चावल का उत्पादन एक लाख टन बढ़ने का अनुमान जताया है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा. आर. एस. सोलंकी ने बताया कि भले ही प्रदेश में सूखे के चलते धान का रकबा ख्.फ्क् लाख हेक्टेयर घटा है, पर पूसा 1121 का रकबा बढ़ने से चावल उत्पादन बढ़ सकता है। लेकिन बाकी खरीफ फसलों का उत्पादन 24 हजार टन घटने का अनुमान है। पंजाब कृषि विभाग की रिपोर्ट मंे इस बार दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। पंजाब कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक गुरदयाल सिंह के मुताबिक पिछले साल धान की प्रति हेक्टेयर पैदावार 40.22 क्विंटल रही थी। इस बार यह उत्पादन 39.50 रहने की आशंका है।
दालें महंगी होंगी, मोटा चावल भी मिलेगा कम नई दिल्ली। खरीफ फसलों की पैदावार को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उससे उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ने की संभावना और बलवती हो रही है। दलहन की पैदावार में भारी कमी आने से उपभोक्ताओं को महंगी दालों से जूझना होगा। इसके अलावा कुछ तिलहन फसलों का भी उत्पादन गिरेगा तो खाद्य तेल भी महंगे हो सकते हैं। आम उपभोक्ता के मामले में धान का मसला थोड़ा अलग है। जानकारों के मुताबिक हरियाणा में मोटे चावल की कमी हो सकती है। कारण यह है कि बारिश में देरी होने के कारण किसानों ने मोटे अनाज की बुवाई नहीं की, बल्कि देरी से बोई जा सकने वाली पूसा चावल की बुवाई की। ऐसे में आम आदमी को सामान्य किस्मों का चावल महंगा मिलने के पूरे आसार हैं। (ब्यूरो) (बिज़नस भास्कर)

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