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02 अक्तूबर 2009

'निकट भविष्य में जिंसों की कीमतों में गिरावट के आसार नहीं, सोना होगा और महंगा'

October 01, 2009
मेरिल लिंच के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रबंध निदेशक और कमोडिटी प्रमुख दीगो परिला का मानना है कि पिछले साल कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट थम चुकी है।
उनके अनुसार निकट भविष्य में कमोडिटी की कीमतों में गिरावट की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। राजेश भयानी के साथ साक्षात्कार में उन्होंने इस साल विभिन्न कमोडिटी की संभावनाओं पर चर्चा की।
परिला का मानना है कि सोना 1500 डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है, जबकि चीनी, अनाज और सोयाबीन आदि भी मध्यम अवधि में मजबूत रह सकते हैं। पेश हैं साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
जिंस कारोबार क्षेत्र में मेरिल लिंच की क्या रणनीति है, साथ ही किन क्षेत्रों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा?
हमारे वैश्विक उत्पाद की बुनियाद कमोडिटी है। हम अपने ग्राहकों को उनकी जरूरतों और उनके सामने पैदा हुई चुनौतियों के अनुरूप बेहतर फाइनैंशियल और फिजिकल कमोडिटी सॉल्यूशंस मुहैया कराने में पूरी तरह सक्षम हैं।
फाइनैंशियल और फिजिकल कमोडिटी को परंपरागत बैंकिंग सॉल्यूशंस के साथ जोड़ने से हम एक बेहतर कारोबारी पहल करने में कामयाब हो पाए हैं। हम तेल और प्रसंस्कृत उत्पाद, प्राकृतिक गैस, एलएनजी, कोयला, बिजली, वेट और ड्राय फ्राइट, कार्बन उत्सर्जन, कीमती और औद्योगिक धातुओं सहित ऊर्जा और धातुओं केकारोबार पर खास तौर पर ध्यान देंगे।
पिछले कुछ वर्षों में कमोडिटी क्षेत्र में कुछ बदलाव देखने में आए हैं। आपके अनुसार ऐसे कौन से नए बदलाव हुए हैं?
मेरी नजर में कमोडिटी सुपर साइकिल अभी काफी हद तक बेहतर तरीके से काम कर रहा है। आर्थिक मंदी के बादल छंटने से हम कुछ हद तक राहत की सांस ले पाने में कामयाब हो पाए हैं। कीमतों में जो भी बदलाव आए, वह इसे लेकर लगाए जा रहे कयासों को लेकर नहीं बल्कि, ऐसा मांग में आई गिरावट की वजह से हुआ।
परिवहन कार्य में प्रयुक्त होने वाला तेल काफी हद तक कच्चे तेल पर निर्भर है। वैकल्पिक स्रोत जैसे जैव-ईंधन आदि की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बावजूद भी मध्यम अवधि में कच्चे तेल का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। दुख की बात यह है कि हम तेल के लिए परिष्कृत उत्पादों जैसे गैसोलीन, डीजल और जेट ईंधन पर निर्भर करते हैं।
जहां तक बिजली उत्पादन की बात है, एलएनजी का भविष्य काफी बेहतर लग रहा है। धातु और कृषि क्षेत्र की हालत काफी बेहतर है, लेकिन आपूर्ति की समस्या उर्जा की आपूर्ति के मुकाबले काफी कम हैं। कुल मिलाकर कमोडिटी खासकर ऊर्जा की विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है।
अगर मांग में फिर तेजी आने से कमोडिटी कारोबार एक बार फिर तेजी पकड रहा है तो ऐसी हालत में आपको लगता है कि पिछले साल आई गिरावट निकट भविष्य में देखने को नहीं मिल सकती है?
मेरे विचार से इसकी संभावना कम ही है कि कमोडिटी की कीमतों में पिछले साल की तरह ही गिरावट आएगी। इसकी मुख्य वजह मांग में स्थिरता, राहत पैकेज और तेजी से उभरते बाजारों की मुद्रा के मुकाबले अमेरिकी डॉलर आई गिरावट है।
सोने की कीमतों में एक बार फिर जबरदस्त उछाल आई है। क्या इसे इस बात का संकेत माना जाए कि महंगाई पुन: सिर उठाने लगी है या फिर शेयरों में तेजी अपने उच्चतम स्तर पर चली गई है?
हमारा मानना है कि अगले कुछ सालों में सोना 1,500 डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसके पीछे तीन कारण हो सकते हैं। पहला कारण क्रेडिट मार्केट जबकि दूसरा अमेरिकी डॉलर में आई कमजोरी है। तीसरा कारण कमोडिटी में आई मजबूती होगी।
मेरे विचार से इस समय पहला और दूसरा चरण चल रहा है। हालांकि, हमारा फिर भी मानना है कि सोने की कीमतों में अनिश्चितता बरकरार रह सकती है। बाजार के और अधिक ऊपर चढ़ने की काफी संभावना है, नतीजतन बड़ी गिरावट से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
आपको लगता है कि चीनी की कीमतों में गिरावट आएगी जो पहले ही पिछले 28 वर्षो के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है?
कृषि कमोडिटी में आपूर्ति चक्र ऊर्जा और धातुओं के मुकाबले काफी कम होता है। मौसम की भी अहम भूमिका होती है जिससे मध्यम अवधि की परियोजनाएं के लिए राह मुश्किल हो जाती है।
हालांकि, मध्यम अवधि में कृषि जिंस की कीमतों को लेकर हमारा रुख काफी सकारात्मक है, खासकर जिनका इस्तेमाल ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। खाद्य जरूरतों को पूरा करने के अलावा ईंधन के तौर पर भी उनका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। (बीएस हिन्दी)

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