नई दिल्ली October 02, 2009
भारत से निर्यात होने वाले बासमती चावल में हानिकारक रसायन होने संबंधी ईरान के अधिकारियों की चिंता को दूर करने के लिए घरेलू बासमती चावल उद्योग ने सभी तरह के सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ईरान के मानक उद्योग एवं शोध संस्थान ने यह दावा किया था कि हाल में ही भारत से आयात किए गए बासमती चावल में काफी मात्रा में कैडमियम, आर्सेनिक और सीसे की मिलावट थी।
पंजाब कृषि विश्वविद्याल के पूर्व कुलपति और पंजाब किसान आयोग के अध्यक्ष जीएस कलकट का कहना है कि पूसा 1121 बासमती चावल की उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल है और यह आनुवांशिक रूप से संशोधित नहीं किया गया है। उन्होंने दावा किया कि पूसा-1121 में कोई भी हानिकारक रसायन नहीं हैं।
हानिकारक तत्वों संबंधी शिकायतों पर चावल उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'ईरान हमारे लिए बासमती चावल के लिए नया बाजार है। हम उनको उसी तरह के उत्पाद देना चाहते हैं जो मानकों पर खरा उतरते हैं। अभी तक ईरान सरकार की तरफ से पूसा-1121 में हानिकारक रसायन होने संबंधी कोई भी जानकारी नहीं मिली है और कारोबार सामान्य है।
हालांकि , इसके बाद भी कोई परेशानी है तो उन्हें इस मामले पर सभी तरह के सहयोग करने को तैयार हैं।' मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अगस्त तक भारत से कुल 18।66 लाख टन बासमती चावल के निर्यात हुआ था। पिछले 3-4 साल से ईरान, बासमती चावल के एक बड़े खरीदार के तौर पर उभरा है। (बीएस हिन्दी)
03 अक्तूबर 2009
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