नई दिल्ली October 06, 2009
उत्तर प्रदेश के किसानों ने राज्य सरकार से गन्ने का मूल्य 280 रुपये प्रति क्विंटल घोषित करने की मांग की है। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने लामबंद होना भी शुरू कर दिया है।
उनका कहना है कि पिछले साल अक्टूबर के दौरान चीनी की थोक कीमत 15 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थी जबकि इस साल यह कीमत बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। राज्य सरकार की तरफ से पिछले साल गन्ने का मूल्य 140-145 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाकों में हर रोज गन्ना किसान अपनी पंचायत कर रहे हैं। साथ ही जमीन मुआवजे की मांग को लेकर गाजियाबाद एवं नोएडा में धरने पर बैठे किसानों के साथ मिलकर भी वे गन्ने की कीमत बढ़ाने की आवाज बुलंद कर रहे हैं।
गाजियाबाद जिले के ताजमपुर गांव के गन्ना किसान किरन सिंह कहते हैं, 'कोल्हू एवं खांडसारी की तरफ से उन्हें 250 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल रही है। और कई गन्ना किसानों ने उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में आपूर्ति भी शुरू कर दी है।' वे बताते हैं कि पिछले साल भी बाद में चीनी मिल की तरफ से 140-145 रुपये की जगह उन्हें 165-170 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिलने लगी थी।
मोदीनगर के किसान हरेंद्र नेहरा कहते हैं, 'हम किसान मुख्य रूप से इस बात को लेकर एकजुट हो रहे हैं कि कम कीमत पर हम गन्ने की आपूर्ति नहीं करेंगे। हमें गन्ने की कटाई की भी कोई जल्दी नहीं है। गन्ने की कटाई नहीं करने पर हमें चारा भी उपलब्ध होता रहेगा।'
किसानों का कहना है कि जो मिल उन्हें अधिक कीमत देगी वे उन्हें ही गन्ना देंगे। किसानों की दलील है कि वे नवंबर-दिसंबर में होने वाली गेहूं की बुआई नहीं भी करेंगे तो गन्ने की अधिक कीमत मिलने से उसकी भरपाई हो जाएगी। और गन्ने के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी से अधिक कमी को देखते हुए उन्हें अच्छी कीमत मिलने का पूरा भरोसा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने गत सप्ताह गन्ने के मूल्य को लेकर गन्ना आयुक्त से मुलाकात की। प्रनिधिमंडल के सदस्यों के मुताबिक गन्ना आयुक्त 7 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज देंगे। उसके बाद ही गन्ने की राज्य समर्थित कीमत घोषित की जाएगी। (बीएस हिन्दी)
07 अक्तूबर 2009
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