नई दिल्ली : सरकार ने इस साल खरीफ सीजन के दौरान चावल उत्पादन में 1 करोड़ टन की कमी होने की आशंका जताई है, लेकिन कारोबारियों का मानना है कि चावल के उत्पादन में इससे ज्यादा की गिरावट आ सकती है। इसको देखते हुए सरकार को 20 से 50 लाख टन तक चावल का आयात करना पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि ट्रेडरों के लिए नॉन प्रीमियम ब्रांड पर लगने वाले 70 फीसदी आयात शुल्क को खत्म करने की बात दोबारा उठ सकती है। यह अलग बात है कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने पिछले महीने ऐसी किसी भी गुंजाइश से इनकार किया था। अक्टूबर से शुरू वर्ष 2009-10 के मार्केटिंग सीजन में चावल के उत्पादन में 1 करोड़ टन की कमी से सरकारी और खुले बाजार के स्टॉक पर दबाव बढ़ेगा। इसके साथ ही चावल की खुदरा कीमतों में इजाफा हो सकता है। इसमें पहले ही पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
इसके चलते सरकार को मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सूखे के इस साल में जनकल्याणकारी योजनाओं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए चावल खरीदने में मुश्किल होगी। सरकार को खरीदारी के लिए बोनस का एलान करना पड़ सकता है। दिल्ली के एक बड़े निर्यातक ने ईटी से कहा, 'इस सीजन में चावल उत्पादन में कम से कम 1 करोड़ टन या इससे ज्यादा की कमी हो सकती है। पिछले साल 9।9 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था। इस साल यह ज्यादा-से-ज्यादा 8.9 करोड़ टन तक जा सकता है। हमारा अनुमान इससे कम का है। सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं की कुछ जरूरत गेहूं के समुचित स्टॉक से पूरी करने की कोशिश करेगी, लेकिन यह काफी नहीं होगा। हमारे हिसाब से घरेलू मांग पूरी करने के लिए सरकार को 20 से 50 लाख टन चावल का आयात करना पड़ सकता है। कम-से-कम 20 लाख टन चावल का आयात तो करना ही होगा।' चावल के दूसरे कारोबारी भी आयात का इतना ही अनुमान लगा रहे हैं। इसकी पुष्टि उत्पादन में कमी को लेकर सरकार से मिल रहे संकेतों से होती है। चावल के नए मार्केटिंग सीजन में 2.85 करोड़ टन गेहूं और 1.6 करोड़ टन चावल का स्टॉक है। यह गेहूं के न्यूनतम बफर स्टॉक 1.10 करोड़ टन और चावल के 52 लाख टन से काफी ज्यादा है। एक कमोडिटी एनालिस्ट का कहना है, 'बाजार उत्पादन में कमी के संकेतों को लेकर काफी संवेदनशील है। सरकार द्वारा हताशा में उठाए गए कई कदमों से इस पर गहरा असर हुआ है। जैसे उसने धान की पैदावार के अनुमान को टाल दिया है। आमतौर पर यह अनुमान सितंबर में जारी किया जाता है, लेकिन केंद्र को अभी तक धान के बुवाई रकबे के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है। इसके अलावा सरकार ने नॉन प्रीमियम चावल के निर्यात पर से पाबंदी हटाई नहीं है। उसने ट्रेडरों के लिए भंडारण की सीमा को सितंबर 2010 (अगले मार्केटिंग सीजन) तक बढ़ा दिया है। वह चावल पर से आयात शुल्क घटाने के बारे में अस्पष्ट संकेत दे रही है।' (ई टी हिन्दी)
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