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10 अक्तूबर 2009

त्योहार पर उपभोक्ताओं को खाद्य तेल में थोड़ी राहत

दलहन और चीनी की कीमतों में आई तेजी से परेशान उपभोक्ताओं को दीपावली पर खाद्य तेल में कुछ राहत मिल सकती है क्योंकि खाद्य तेल कुछ सस्ते हुए हैं। थोक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में पिछले पंद्रह दिनों के दौरान करीब दो से तीन रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। चालू तेल वर्ष में खाद्य तेलों के आयात में 49 फीसदी की भारी बढ़ोतरी होने से घरेलू बाजार मे उपलब्धता बढ़ी है। इसके अलावा घरेलू मंडियों में सोयाबीन की आवक शुरू हो गई है। दीपावली तक मूंगफली की आवक भी शुरू हो जाएगी। हालांकि खाद्य तेलों के भाव घटने से तिलहनों के भी दाम गिर सकते हैं।दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य तेलों में उठान कमजोर है। सरसों तेल के भाव हरियाणा की दादरी मंडी में पिछले दस दिनों में 545 रुपये से घटकर 495 रुपये प्रति दस किलो रह गए। इस दौरान इंदौर में रिफाइंड सोयाबीन तेल के भाव 460 रुपये से घटकर 430 रुपये, बिनौला तेल के भाव पंजाब में 410 रुपये से घटकर 375 रुपये और राजकोट में मूंगफली तेल के भाव 670 रुपये से घटकर 650 रुपये प्रति दस किलो रह गए। क्रूड पाम तेल के भाव कांडला पोर्ट पर 335 रुपये से घटकर 305 रुपये प्रति दस किलो रह गए। फुटकर में सरसों तेल पक्की घानी के भाव करीब 58-60 रुपये, रिफाइंड सोयाबीन तेल के भाव 50-55 रुपये और आरबीडी पामोलीन के भाव 48-50 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं।खाद्य तेलों के व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने के कारण आयातकों ने आयात सौदे पहले की तुलना में कम कर दिए हैं। वैसे भी घरेलू मंडियों में सोयाबीन और कपास की आवक शुरू हो चुकी है तथा दीपावली तक मूंगफली की भी आवक शुरू हो जाएगी। इसलिए आगामी दिनों में खाद्य तेलों की गिरावट का असर सोयाबीन, कपास और मूंगफली की कीमतों पर पड़ने का अनुमान है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले दस महीनों (नवंबर से अगस्त) के दौरान भारत में 70।70 लाख टन खाद्य तेलों का रिकार्ड आयात हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 47.61 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था। अगस्त महीने में 650,603 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले चार फीसदी ज्यादा है। कुल उपलब्धता ज्यादा होने और खरीफ तिलहनों की आवक को देखते हुए आगामी दिनों में आयात में कमी आने की संभावना है।चालू खरीफ सीजन में देश में तिलहनों की कुल बुवाई में 12.35 लाख हैक्टेयर की कमी आई है। अभी तक 167.40 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 179.76 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। आंध्रप्रदेश और गुजरात में मानसून की कमी से मूंगफली की बुवाई सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। मूंगफली की कुल बुवाई 43.49 लाख हैक्टेयर में ही हुई जोकि पिछले साल की समान अवधि के 31.79 लाख हैक्टेयर से कम है।rana@businessbhaskar.net (बिज़नस भास्कर)

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