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01 अक्तूबर 2009

तिल उत्पादन में हो सकती है बढ़ोतरी

मुंबई October 01, 2009
मौजूदा खरीफ फसलों की कटाई के सत्र में तिल के उत्पादन में 16 फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है।
खरीफ सत्र में तिल की फसलों की कटाई का कार्य सितंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू हो गया है और यह नवंबर के पहले सप्ताह तक जारी रहेगा। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में खरीफ सत्र की हिस्सेदारी 60 फीसदी होती है और पिछले सत्र के 3.10 लाख टन के मुकाबले इस बार यह 3.60 लाख टन के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
भारतीय तिलहन एवं उत्पाद निर्यात संवर्ध्दन परिषद(आईओपीईपीसी) की सालाना बैठक में कारोबारियों का मानना था कि देश में सामान्य से कम बारिश होने के बाद भी तिल के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। सफेद तिल का उत्पादन इस खरीफ सत्र में 3 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले सत्र में 2.60 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
दूसरी तरफ काले और अन्य रंगों के तिल का उत्पादन इस साल पिछले साल के 50,000 टन की अपेक्षा 60,000 टन रह सकता है। राजस्थान के कारोबारियों के अनुसार ऐसे किसान जो अपर्याप्त बारिश की वजह से ग्वारसीड की बुआई नहीं कर पाएं, उन्होंने तिल की खेती की ओर रुख कर लिया।
लिहाजा, राज्य में तिल का रकबा अचानक 20 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 5.2 लाख हेक्टेयर पहुंच गया, जबकि सामान्य तौर पर इसकी बुआई 4-4.25 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में होती है। देश में तिल के रकबे में 15.18 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 16.92 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाने का अनुमान है जो पिछले साल 14.69 लाख हेक्टेयर रहा था।
पुणे स्थित सिंबियोसिस इंस्टीटयूट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार गुजरात में रकबे में खासी गिरावट आई है, क्योंकि किसान जुलाई के अंत तक बारिश का इंतजार करते रह गए जिससे तिल की बुआई अपेक्षित क्षेत्र में नहीं हो पाई। फरवरी 2009 में समाप्त हुए सत्र में कुल 2.85 लाख टन तिल का उत्पादन हुआ था जिसमें से सफेद तिल (प्रीमियम) की हिस्सेदारी 2 लाख टन थी।
आईओपीईपीसी के उपाध्यक्ष निलेश वीरा कहते हैं 'तिल की खेती के लिए अधिक वर्षा की जरूरत नहीं होती है। बुआई के समय पर्याप्त बारिश अगले 85-90 दिनों की अवधि में थोड़ी बहुत बारिश अच्छी पैदावार के लिए काफी होती है।' हालांकि, तिल के बेहतर उत्पादन की संभावना भले ही जताई जा रही है, लेकिन वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सदोरी घटती जा रही है।
चीन में तरजीही कर की वजह से अफ्रीकी देश की हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वित्त वर्ष 2008-09 में भारत का तिल निर्यात घटकर 2.25 लाख टन रह गया जबकि इससे पहले के वर्ष में भारत से 3.14 लाख टन तिल का निर्यात हुआ था।
वैश्विक व्यापार को बढावा देने के के प्रयास लागतार जारी हैं और जापान को होने वाले निर्यात को फिर से शुरू करने की कवायद भी तेज हो गई है, जहां नब्बे के शुरुआती दशक में निर्यात पर रोक लगा दी गई थी।
चूंकि, जापान को किया जाने वाला निर्यात मुख्यत: 10 स्थानीय कंपनियों के समूह के हाथों में है, अधिकांश सौदे आपसी सहमति के आधार पर होते हैं, जहां पर भारतीय कारोबारी की अभी तक शिरकात नहीं कर पाए हैं। हालांकि, जापान सरकार ने भारत से तिल के आयात पर आधिकारिक तौर पर रोक नहीं लगाई है। (बीएस हिन्दी)

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