03 अक्तूबर 2009
खरीफ सीजन में खाद की बिक्री 33.5 लाख टन घटी
करीब आधे देश में सूखे की स्थिति रहने के कारण इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान खाद की बिक्री में करीब 33.5 लाख टन की कमी आई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न राज्यों की खाद संबंधी मांग को खपत के स्तर के लिए संकेतक माना जाए तो साफ है कि केंद्र से सप्लाई होने वाले खाद की बिक्री में भारी गिरावट आई है। खासतौर पर यूरिया और एमओपी की खपत में गिरावट ज्यादा रही है। खाद सचिव अतुल चतुर्वेदी ने शुक्रवार को कहा, त्नहमने राज्यों को खरीफ सीजन के दौरान पर्याप्त खाद मुहैया कराई ताकि किसानों को किल्लत का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन बिक्री में गिरावट रही है। उन्होंने कहा कि राज्यों को मुहैया कराई गई पूरी खाद वे नहीं बेच पाए और बिक्री घटने के लिए काफी हद तक सूखा जिम्मेदार है। खाद मंत्रालय ने खरीफ सीजन में प्रमुख रूप से प्रयुक्त होने वाली 115 लाख टन यूरिया खाद मुहैया कराई, लेकिन इसकी बिक्री 107 लाख टन ही रही। दिलचस्प बाद तो यह है कि राज्यों ने 135 लाख टन यूरिया की मांग की थी। चतुर्वेदी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर राज्यों को और अधिक खाद मुहैया कराई जा सकती थी, लेकिन उनको पहले मुहैया कराई गई खाद ही राज्य नहीं बेच पाए। इसी तरह 17.36 लाख टन एमओपी खाद राज्यों को सप्लाई की गई, लेकिन 16 लाख टन की बिक्री ही हो पाई, जबकि राज्यों ने 21.45 लाख टन की मांग की थी। वहीं, डीएपी खाद राज्यों को 62 लाख टन जारी की गई, जबकि मांग 49 लाख टन थी। हालांकि डीएपी की बिक्री के अंतिम आंकड़े अभी प्राप्त नहीं हो सके हैं, लेकिन इसकी बिक्री घटने की पूरी संभावना है। यूरिया, डीएपी और एमओपी ही प्रमुख खाद हैं जिनका किसान उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। खाद सचिव ने रबी सीजन के दौरान खाद की किल्लत की संभावना से इनकार किया। 2009-10 रबी सीजन में देश को 263 लाख टन खाद की जरूरत होगी जो गत वर्ष के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। रबी सीजन में 143.75 लाख टन यूरिया, 57.48 लाख टन डीएपी, 21.47 लाख टन एमओपी और 40.21 लाख टन कॉमप्लेक्स की जरूरत होगी। (बिज़नस भास्कर)
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